
मुंबई। शहरी क्षेत्रों के कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए सुपोषित मुंबई अभियान और नागरी बाल विकास केंद्र शुरू किए गए हैं। ये केंद्र गर्भावस्था से लेकर पहले 1,000 दिनों तक बच्चों को उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होंगे। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने दी। मंत्री तटकरे ने कोलाबा के आंगनवाड़ी क्र. 51 में सुपोषित मुंबई अभियान और नागरी बाल विकास केंद्र योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने माता और शिशु के उचित पोषण की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) आयुक्त कैलास पगारे, दक्षिण मुंबई बाल विकास परियोजना अधिकारी नितिन मस्के, महिला एवं बाल विकास विभाग के संबंधित अधिकारी, आंगनवाड़ी सेविकाएं, सहायिकाएं, माताएं और बच्चे उपस्थित थे। मंत्री तटकरे ने बताया कि 2018 से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में “ग्राम बाल विकास केंद्र योजना” लागू की गई है, जिससे कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने में मदद मिली है। इसी तर्ज पर अब मुंबई और उपनगरों में कुपोषण की दर कम करने के लिए “सुपोषित मुंबई अभियान” और “नागरी बाल विकास केंद्र योजना” शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था से लेकर पहले 1,000 दिन (जन्म से दो साल तक) बच्चे के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में माता और शिशु को उचित पोषण मिलना आवश्यक है। नागरी बाल विकास केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण के साथ-साथ मोटापे की समस्या को दूर करने के लिए भी मार्गदर्शन दिया जाएगा। मंत्री तटकरे ने शहरी आबादी के अनुपात में आंगनवाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि “सुपोषित मुंबई अभियान” और “नागरी बाल विकास केंद्र योजना” के लाभ से कोई भी शहरी बच्चा वंचित न रहे। इस अवसर पर ICDS आयुक्त कैलास पगारे ने गर्भावस्था और जन्म के बाद पहले दो वर्षों में माता और शिशु के आहार की देखभाल और कुपोषण को कम करने की योजना की जानकारी दी।