
मुंबई। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए साफ चेतावनी दी है कि निर्धारित स्थल आज़ाद मैदान के बाहर किसी भी प्रकार का प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सोमवार को सैकड़ों आंदोलनकारियों के सीएसएमटी रेलवे स्टेशन और अन्य स्थानों पर जमा होने से जनजीवन बाधित हुआ। राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध के लिए आज़ाद मैदान की अनुमति दी गई है, लेकिन अराजकता फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, जनता को बंधक बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अदालत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रशासन उच्च न्यायालय के निर्देशों का कड़ाई से पालन करेगा। उन्होंने कहा, जहां तक मैंने समझा है, अदालत ने कुछ शर्तों, खासकर सड़क अवरोधों को लेकर आपत्ति जताई है। सरकार संवैधानिक और कानूनी ढांचे के भीतर काम कर रही है। जो भी समाधान निकलेगा, वह कानूनी रूप से टिकाऊ होगा। इसी बीच, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सोमवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गई और उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया। आंदोलन के पहले दिन आसपास के व्यापारियों ने अराजकता के कारण अपनी दुकानें बंद कर दीं, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर खाद्य दुकानों को बंद कराया। इस पर सीएम फडणवीस ने कहा, *”व्यापारियों ने शुरुआती हंगामे के बाद खुद दुकानें बंद की थीं। बाद में हमने पुलिस सुरक्षा का आश्वासन दिया और दुकानों को फिर से खोलने के लिए कहा। किसी को भी जानबूझकर भोजन से वंचित नहीं किया गया। सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए “हैदराबाद गजट” लागू करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि मसौदा तैयार है, लेकिन उसे कानूनी जाँच से गुजरना होगा। महाधिवक्ता से भी परामर्श किया गया है और विस्तृत आदेश आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी। पाटिल ने आंदोलनकारियों से अपील की कि वे आज़ाद मैदान तक ही सीमित रहें। उन्होंने चेतावनी दी, अगर आंदोलनकारी कहीं और दिखाई देते हैं, तो उन्हें मनोज जरांगे का अनुयायी नहीं माना जाएगा। कुछ तत्व आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर सकते हैं, ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी।