
इंद्र यादव/मुंबई। ठाणे के वागले एस्टेट क्षेत्र में स्थित चार रास्ता चौक पर पसरा विशाल कचरे का ढेर आज देश के बहुप्रचारित ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की जमीनी हकीकत का प्रतीक बन गया है, जहां वर्षों से जमा कचरा, बहता गटर का पानी और असहनीय दुर्गंध स्थानीय नागरिकों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन चुकी है। इस क्षेत्र से रोज़ाना गुजरने वाले स्कूली बच्चों को किताबों में पढ़ाए जाने वाले “स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” के नारों और वास्तविक हालात के बीच गहरा विरोधाभास देखने को मिल रहा है। स्थानीय दुकानदारों और राहगीरों का कहना है कि बदबू और गंदगी के कारण व्यापार और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वहीं यातायात पुलिस के अनुसार कचरे के कारण सड़क का बड़ा हिस्सा बाधित होने से आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। आरोप है कि जनप्रतिनिधि केवल चुनावी समय में सफाई के वादे कर फोटो खिंचवाते हैं, लेकिन बाद में समस्या जस की तस बनी रहती है। लोगों का कहना है कि यदि वास्तव में स्वच्छता अभियान को सफल बनाना है तो सबसे पहले ऐसे स्थायी कचरा ढेरों को हटाना होगा, अन्यथा यह अभियान केवल पोस्टरों और भाषणों तक ही सीमित रह जाएगा। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल प्रभाव से इस क्षेत्र की सफाई और स्थायी समाधान की मांग की है।




