
मुंबई। महाराष्ट्र की लोकप्रिय महिला सशक्तिकरण योजना “मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण” को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। राज्य की लाखों पात्र महिलाएँ सितंबर माह (15वीं किस्त) की 1,500 रुपए राशि का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यह भुगतान इसी सप्ताह लाभार्थियों के खातों में जमा किया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे लाभार्थियों में भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हाल के दिनों में योजना में कुछ अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई थीं, जिसके बाद सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है। यह प्रक्रिया अभी जारी है, और हजारों महिलाओं ने अब तक अपना केवाईसी पूरा नहीं किया है। यही वजह है कि सितंबर 2025 की किश्त के वितरण में देरी हो रही है। सरकार ने केवाईसी सत्यापन पूरा करने के लिए दो महीने की समयसीमा निर्धारित की है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिन महिलाओं का ई-केवाईसी अधूरा रहेगा, उन्हें भविष्य की किश्तों में भी देरी का सामना करना पड़ सकता है, भले ही वे योजना की पात्र सूची में शामिल हों। महिलाओं से अपील की गई है कि वे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), आधार सेवा केंद्रों या आधिकारिक सरकारी पोर्टल के माध्यम से जल्द से जल्द अपना ई-केवाईसी पूरा करें, ताकि भुगतान समय पर सुनिश्चित हो सके। महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री *अदिति तटकरे ने मीडिया से बातचीत में कहा- वर्तमान में सरकार की प्राथमिकता बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और मुआवज़ा पहुँचाना है। त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है, और हमें उम्मीद है कि मंज़ूरी मिलते ही *माझी लाडकी बहीण* योजना की अगली किस्त जल्द ही वितरित की जाएगी। जानकारों के अनुसार, इस योजना के तहत हर माह 1,500 रुपए की राशि सीधे पात्र महिलाओं के खातों में भेजी जाती है। यह योजना राज्य सरकार की सबसे लोकप्रिय सामाजिक कल्याण योजनाओं में से एक बन चुकी है, और अब तक लाखों महिलाओं को इसका सीधा लाभ मिला है। हालांकि, ई-केवाईसी प्रक्रिया और तकनीकी विलंब ने इस बार भुगतान में थोड़ी रुकावट पैदा कर दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यदि तकनीकी सत्यापन और वित्तीय मंजूरी समय पर पूरी हो जाती है, तो सितंबर की किश्त दस अक्टूबर तक जारी की जा सकती है। फिलहाल सभी की नज़रें राज्य सरकार की औपचारिक घोषणा पर टिकी हैं।