वरिष्ठ लेखक जीतेंद्र पांडेय
कोई नेता यदि सत्ता में आता है तो अपने पद का दुरूपयोग करने लगता है। अपने ऊपर लगे जघन्य अपराधों से कैसे बच निकलता है और बरी करने, कराने वालों को किस तरह ईनाम देता है? अपने पद का प्रभाव दिखाकर हर अनैतिक कार्य में रत कैसे हो जाता है। अपने दरिद्र परिजनों को कहां से कहां पहुंचा देता है,भले योग्यता हो न हो और चाटुकार शासन प्रशासन कर्मी कैसे उसके हर अनैतिक कार्य में सहयोगी बनता है, यही लेख का विषयवस्तु भी है। सबसे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह।उनके बेटे को आज बीसीसीआई का सेक्रेटरी बना दिया गया। उसकी योग्यता मात्र इतनी सी है कि वह केंद्रीय गृह मंत्री का लाडला है। शाह के बेटे की कंपनी की पूंजी मात्र चंद रुपयों की थी।जिस कंसर्न ने 15 सौ करोड़ कर्ज लेने की बात उसकी कंपनी में कहा गया। कथित धन लगाने वाली कंपनी के आय व्यय विवरण में कर्ज देना दर्ज ही नहीं है। बीसीसीआई का सेक्रेटरी बनने का जहां तक सवाल है, बड़ा मालदार है बीसीसीआई जिसकी आमदनी देखकर नेताओं की राल टपकने लगती है अन्यथा जिसने कभी हाथ में बैट नहीं पकड़ा, बॉल नहीं पकड़ा, फील्डिंग, बोलिंग नहीं की। फील्ड के स्थानों के नाम तक नहीं जानता हो ऐसे तमाम नेता बीसीसीआई जैसी कमाऊ संस्था में आते रहे हैं। अपने पद और लॉबिंग के द्वारा ताकि मुनाफे की भारी रकम की बहती गंगा में डुबकी लगाकर दौलत जमा कर सकें।क्रीड़ा संस्थानों में सारे पदाधिकारी जब खिलाड़ी होते हैं तो खेल भावना से ओत प्रोत होने के कारण खेल संस्थानों की उन्नति का ध्यान रखते हैं। राजनेता सिर्फ अपना फायदा देखता और जमकर लूटता रहता है। खेल संस्थानों के चीफ और सेक्रेटरी का पद अय्याशी का पद बना दिया जाता है। पिछले दिनों महिला पहलवानों के देह शोषण मामले में क्या हुआ? किस तरह सत्ता से जुड़े अपराधी को बचाया गया यह सारी दुनिया ने देखा है। यह तो हुई खेल की बात। अब परिजनों की किस्मत सत्ता में आने के बाद कैसे बदली जाती है यह देश का बच्चा बच्चा जानता है। सबसे छोटे ओहदे यानी ग्रामसभा की तो ग्राम प्रधान भी पांच वर्षों में करोड़ों की कमाई करने के साथ ही अपने परिजनों को सरकार के छोटे मोटे ओहदे पर बहाल करा लेता है। परिजनों को व्यापारी बना देता है तो ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, सांसद, मंत्री मुख्यमत्री और प्रधानमंत्री की बात ही क्या है। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात है।जिनके अनुसार तीस पैंतीस साल उन्होंने भीख मांगकर खाए हैं। आरएसएस प्रचारकों के लिए यही मार्ग है भीख मांगकर खाओ और आरएसएस का प्रचार प्रसार करो। सो उन्होंने आरएसएस प्रचारक की हैसियत से भीख मांगकर खाई होगी निःसंदेह। उसकी चर्चा अभीष्ट नहीं। बकौल मोदी उन्होंने ट्रेन में चाय बेची। नाले की गैस से चाय बनाने वाले महान वैज्ञानिक हैं मोदी जबकि यह उनका सफेद झूठ है कहना। बिना किसी षण्यंत्र के ऐसा करना असंभव है। दूसरी बात जिस रेलवे स्टेशन का नाम और चाय बेचने की अवधि बताते हैं इसके दो साल बाद ही उस रेलवे स्टेशन का अस्तित्व आया।एक बहुत बड़ी काबिलियत मोदी जी की कि जैसा वे कहते भी हैं झूठ बोलो,बार बार झूठ बोलो। जब तक वह झूठ लोग सच न मानने लगें। मोदी जी की विशेषता है कि वे हर समय झूठ बोलते हैं और उनके झूठ को उनके अंधभक्त हमेशा सत्य मानते हैं। झूठ बोलने की कला होती है जिसमे वे दक्ष हैं। संसद के बाहर ही नहीं सदन में भी वे झूठ बोलते रहते हैं। उनका इतिहास ज्ञान लगभग शून्य है अन्यथा संसद में तीव्र स्वर में इतनी तन्मयता और अतिविश्वास के साथ झूठ न बोलते। उदाहरण के लिए वे कहते हैं कि अगर लोकसभा चुनाव लड़कर सरदार बल्लभ भाई पटेल देश के प्रधानमंत्री बन गए होते तो देश की दशा और दिशा ही अलग होती। अब यह कौन बता सकता है कि यह मोदी की इतिहास की अनभिज्ञता है या जान बुझकर ऐसा झूठ बोलते हैं। यह तो वही बता सकते हैं। जबकि सत्य यह है कि देश में पहला आमचुनाव लोकसभा और विधानसभाओं के 1952 में संपन्न हुए थे जबकि सरदार पटेल का आकस्मिक निधन 1950 में ही हो गया था। फिर मृत्यु के दो साल बाद चुनाव कैसे लड़ते? नेहरू के विषय में एक भ्रांति फैलाने में सारे बीजेपी नेता मंत्री और अंधभक्त शामिल हैं। वह यह कि नेहरू के कपड़े धुलने के लिए पेरिस जाते थे। यहां बीजेपी के अज्ञानियों अंधभक्तों को जानकारी देना जरूरी है कि उस समय दिल्ली शहर में ही एक पेरिस लॉन्ड्री थी जिसमें नेहरू के कपड़े धुलते थे। फ्रांस वाले पेरिस में कपड़े धुलने नहीं जाते थे। ऐसे तमाम झूठ हैं जिनकी चर्चा नहीं की जा रही। बहरहाल यदि झूठ बोलने की कला पर नोबल प्राइज जैसा कोई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार होता तो गारंटी के साथ कहा जा सकता है कि वह पुरस्कार नरेंद्र मोदी को ही मिलता। मोदी जब पीएम बने थे तब मीडिया उनके बड़े भाई के यहां दौड़ी गई थी। पारिवारिक गरीबी की बातें होने के बाद जब पत्रकार ने पूछा, अब तो मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो पारिवारिक स्थिति पर ध्यान देंगे? स्मरण है तब मोदी के बड़े भाई सोमा मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा था, बारह साल तक गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए जब परिवार के लिए कुछ नहीं किया तो अब क्या करेगा?
आगे उन्होंने कहा कि वह ऐसा व्यक्ति है जो किसी काम बिना किसी को चाय तक नहीं पिलाता। अर्थात मोदी नितांत स्वार्थी व्यक्ति हैं। यही उनके बड़े भाई के कहने का भाव रहा अन्यथा तो लोग अपरिचित आगंतुक को चाय पानी पिलाते रहते हैं। सब कुछ मिलाकर नरेंद्र मोदी के परिजन अभाव में रहे। दाल रोटी चल जाती थी लेकिन अब जो सूचनाएं आई हैं उनके अनुसार अब मोदी का समूचा परिवार सारे भाई धनवान हो गए हैं। अब दरिद्रता का कोई भी लक्षण दिखता नहीं है। सबसे बड़े भाई सोमा मोदी जो स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हो चुके हैं, वर्तमान में गुजरात सरकार के भर्ती विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं।कुल पांच भाई और एक बहन थे मोदी पीएम। बताया गया था कि दवा यानी चिकित्सा के अभाव में मोदी परिवार की एक लड़की की मृत्यु हो गई। मोदी पीएम ने कोई भी सहायता नहीं की। अब पीएम की परिजन और राज्य सरकार और प्रशासन चिकित्सा की व्यवस्था माकूल नहीं करे संभव ही नहीं लगता। दूसरे भाई प्रह्लाद मोदी जो राशन की दूकान चलाते थे। उन्होंने पिछले कुछ वर्षो में बड़ी तरक्की की है। अब वे अहमदाबाद और एक दूसरे शहर में हुंडई, मारुति और होंडा चार पहिया वाहनों के बहुत बड़े डीलर बन चुके हैं। तीसरे भाई अमित मोदी जो किसी कारखाने में मुलाजिम थे। आज सबसे बड़े रियल एस्टेट के मालिक बन चुके हैं। पंकज मोदी जो सूचना विभाग के पूर्व कर्मी थे आज गुजरात सरकार के भर्ती विभाग में उपाध्यक्ष हैं और अपने बड़े भाई सोमा मोदी के साथ हैं। अरविंद मोदी आज प्रमुख निर्माण कंपनियों और रियल एस्टेट के बहुत बड़े ठेकेदार बन गए हैं। भारत मोदी जो किसी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल डीजल भरते रहे थे। आज खुद पेट्रोल पंप के मालिक बन बैठे हैं। जबकि अशोक मोदी रियल एस्टेट कारोबारियों में बड़ा नाम बन चुके हैं। अब सवाल उठता है कि मोदी के पीएम बनने के बाद उनके बड़े भाई ने पत्रकारों से कहा था, नरेंद्र तो बिना किसी काम के किसी को चाय नहीं पिलाता और बारह साल तक मुख्यमंत्री रहते जब परिवार के लिए कुछ नहीं किया तो अब प्रधानमंत्री बनने पर क्या करेगा? फिर चंद वर्षों में सभी भाइयों की कोई लॉटरी तो नहीं लग गई जो इतने बड़े बड़े पद और बड़े बड़े कारोबारी बन गए? हम यह नहीं कह सकते कि पीएम मोदी ने गुजरात राज्य सरकार को आदेश देकर अपने भाइयों को धनवान बना दिया। संभव है राज्य सरकार ने मोदी भक्ति दिखाते हुए सभी भाइयों की तकदीर ही बदल दी। यदि गुजरात सरकार ने मोदी परिवार की काया ही पलट दी है तो सवाल उठना लाजिमी है कि जिस गुजरात राज्य से तीस लाख शिक्षित युवा बेरोजगार होने के कारण चोटी चुपके विदेश जाने, पकड़े जाने और स्वदेश भेजे जाने जैसी घटनाओं में त्रस्त हैं तो क्या गुजरात सरकार केवल एक ही व्यक्ति नरेंद्र मोदी को खुश करने के कारण ऐसा किया तो सरासर अनुचित होगा क्योंकि जो पीएम मोदी ने बारह साल गुजरात के सीएम रहते कुछ नहीं किया तो उनके पीएम बनने के बाद सभी भाइयों को धनी बनाने के कार्य से मोदी खुश कैसे हो सकते हैं?उलटे उन्हें तो नाराज होकर गुजरात सरकार को डांट पिलानी थी मगर ऐसा समाचार कोई नहीं मिला कि पीएम मोदी राज्य सरकार से रूष्ट हैं। यानी पीएम मोदी के भाइयों के धनी बनने में पीएम मोदी का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हाथ ज़रूर है।