
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए उड़चन जलविद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज) को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना तात्यासाहेब कोरे वारणा सहकारी नवशक्ति निर्माण संस्था लिमिटेड के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर विकसित की जाएगी। मुंबई के विधान भवन में जल संसाधन विभाग और संबंधित संस्था के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, विधायक डॉ. विनय कोरे सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। परियोजना से 240 मेगावाट बिजली उत्पादन की योजना है, जिसमें 1008 करोड़ रूपए का निवेश और 300 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। यह राज्य सरकार की पंप स्टोरेज क्षेत्र में 16वीं परियोजना है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि आने वाले वर्षों में बिजली की खपत तेजी से बढ़ेगी और पंप स्टोरेज तकनीक एक आवश्यक विकल्प होगी, जिससे आवश्यकता अनुसार बिजली का उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि राज्य ने अब तक 65 हजार मेगावाट क्षमता के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए हैं और सरकार की योजना इसे एक लाख मेगावाट तक ले जाने की है। इसके लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क में ₹1 लाख करोड़ का निवेश कर वर्ष 2035 तक एक विशेष ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। टिल्लारी नदी पर आधारित इस परियोजना के ऊपरी बांध का स्थान कोडाली (जिला कोल्हापुर) और निचला बांध मौजे केंद्र (जिला सिंधुदुर्ग) में होगा। परियोजना से उत्पन्न जलविद्युत ऊर्जा के लिए जलाशयों के उपयोग पर प्रति मेगावाट 1.33 लाख रूपए का वार्षिक पट्टा शुल्क, औद्योगिक दरों पर जल शुल्क और प्रचलित दरों पर भूमि पट्टा शुल्क लिया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार की 2023 की अक्षय ऊर्जा नीति के तहत अब तक 15 एजेंसियों के साथ 45 परियोजनाओं के लिए समझौते किए गए हैं, जिनसे कुल 62,125 मेगावाट बिजली उत्पादन, 3.41 लाख करोड़ रूपए का निवेश और 96,190 रोजगार सृजन की संभावना है। इन परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए 14.62 टीएमसी प्रारंभिक जल भंडारण और प्रति वर्ष 2 टीएमसी पुनर्भरण जल की आवश्यकता होगी, जिससे 579.69 करोड़ जल शुल्क और 80.52 करोड़ रूपए वार्षिक राजस्व की उम्मीद है। विधायक डॉ. कोरे ने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल यह परियोजना राज्य के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है और वारणा समूह इसका क्रियान्वयन प्राथमिकता के आधार पर करेगा।