
नई दिल्ली। शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आमने-सामने है। ईडी ने केजरीवाल को अब तक तीन बार नोटिस भेजा है और चौथे बार नोटिस भेजने की तैयारी में है। वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के चंगुल में फंसे हैं। जमीन घोटाले से जुड़े मामले में हेमंत सोरेन को ईडी की तरफ से अब तक सात बार नोटिस भेजा जा चुका है। ध्यान देने वाली बात ये है कि भले ही दोनों मामले अलग-अलग है, लेकिन ईडी के नोटिस को लेकर हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल का रवैया एक समान है। दोनों ही मुख्यमंत्री ईडी के नोटिस को हल्के में ले रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों की तरफ से ईडी को लगभग एक जैसी ही दुहाई दी जा रही है और दोनों ही पेश से बच रहे हैं। दोनों ही मुख्यमंत्रियों की पार्टी ने केंद्रीय एजेंसी पर इसके दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं द्वारा केंद्र सरकार पर ईडी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल ने इन नोटिसों के जवाब में ईडी को पत्र लिखकर अपनी व्यस्तता बताई है। ईडी के नोटिस पर हेमंत सोरेन ने पत्र लिखकर उसे गैरकानूनी बताया है और कहा कि नोटिस के जरिए उनकी राजनीतिक छवि खराब की जा रही है। साथ ही राज्य में सरकार को स्थिर करने की कोशिश हो रही है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ईडी के नोटिस पर पत्र लिखकर अपना जवाब भेजा है। केजरीवाल ने पत्र लिखकर अपनी व्यस्तता बताई है और उनकी पार्टी ने कहा कि ईडी के नोटिस के जरिए उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोका जा रहा है। उनकी पार्टी ने यह भी आरोप लगाई है कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने की साजिश भी रची जा रही है। सवाल ये है कि अरविंद केजरीवाल ईडी के नोटिस को हल्के में क्यों ले रहे हैं, तो इसका एक जवाब इससे समझा जा सकता है कि हेमंत सोरेन को अब तक सात बार नोटिस मिल चुका है और उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस हिसाब से केजरीवाल को अब तक सिर्फ तीन बार ही नोटिस मिला है और उनके पास पेशी से बचने के लिए अभी और मौके हैं।