Tuesday, May 20, 2025
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शरद पवार ने दिया इस्तीफा वापस लेने का संकेत! कार्यकर्ताओं से बोले- आपकी इच्छा को नजरअंदाज नहीं करूंगा

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार की ओर से एक बड़ी खबर सामने आई है। राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले शरद पवार एक बार फिर गुगली मार सकते हैं। वे अपने फैसले को पलट सकते हैं। यह बात एनसीपी के किसी नेता ने नहीं, बल्कि खुद शरद पवार ने अपने कार्यकर्ताओं को बताई है। शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस लेने का संकेत दे दिया है। बस कार्यकर्ताओं को एक-दो दिन इंतजार करने को कहा है। शरद पवार ने उनके इस्तीफे के फैसले का विरोध करने बैठे एनसीपी कार्यकर्ताओं से बात की। शरद पवार ने गुरुवार को उनसे कहा कि एक-दो दिनों का समय दें इसके बाद उन्हें यहां बैठने की नौबत नहीं आएगी। शरद पवार ने अपने फैसले को लेकर खेद जताते हुए कहा कि उन्होंने क्यों पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात किए बिना इतना बड़ा फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि अगर वे राय-मशविरा करते, तो उनके फैसले का विरोध किया जाता।
‘२ दिनों बाद आपको यहां बैठना नहीं पड़ेगा’, शरद पवार ने समर्थकों से कहा
शरद पवार के पद छोड़ने के ऐलान के बाद मुंबई के वाई.बी.चव्हाण सेंटर के बाहर दो दिनों से उनसे इस्तीफा वापस लेने की मांग कर रहे समर्थकों से शरद पवार ने कहा, ‘२ दिन के बाद आपको यहां बैठना नही पड़ेगा। मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करूंगा।
‘विश्वास दिलाता हूं कि मेरे फैसले के बाद आपको आंदोलन नहीं करना पड़ेगा’
शरद पवार ने कहा विश्वास दिलाता हूं कि मेरे फैसले के बाद आपको आंदोलन नहीं करना पड़ेगा। आप लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं करूंगा। उन भावनाओं के मुताबिक ही फैसला लूंगा। बता दें कि कल यानी ५ मई को सुबह ग्यारह बजे एनसीपी की कमिटी की बैठक होने वाली है। इस बैठक में नए अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके बाद ६ मई को शरद पवार का सोलापुर जाने का प्रोग्राम है। वहां वे एक रिश्तेदार की शादी में शरीक होने वाले हैं। ऐसे में एनसीपी अध्यक्ष को लेकर जो भी तय होना है, वो कल ही होना है। इस अहम घड़ी के एक दिन पहले शरद पवार का यह बयान उनके इस्तीफे के फैसले को पलटने की ओर संकेत तो करता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। शरद पवार ने अपने चिरपरिचित अंदाज में ही जवाब दिया है, उनकी बातें सुनने वालों पर मनचाहा मतलब निकालने का मौका छोड़ दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे इस्तीफे का फैसला लेने से पहले सभी सहयोगियों से बात करनी चाहिए थी। लेकिन मुझे पता था कि आप मुझे यह फैसला लेने नही देते. आपलोग विरोध करते. इसलिए मैंने आपलोगों को विश्वास में नहीं लिया।

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