
मुंबई। राज्यपाल और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सी.पी. राधाकृष्णन ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षकों के चयन हेतु पारदर्शी प्रणाली लागू करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षण एक पवित्र कार्य है और इस दिशा में योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह बातें राज्यपाल ने मुंबई विश्वविद्यालय के 168वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में कही। यह समारोह सर कावसजी जहांगीर दीक्षांत समारोह हॉल में आयोजित किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक समान परीक्षा आयोजित करने की संभावना पर विचार करने का सुझाव दिया। राज्यपाल ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष की शुरुआत में ही तैयार करना चाहिए और छात्रों को इसकी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्थित रूप से चल सके। उन्होंने सुझाव दिया कि जून तक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए जाएं और एक महीने के भीतर दीक्षांत समारोह आयोजित हो, ताकि विद्यार्थियों को समय पर उनकी डिग्री मिल सके। राज्यपाल ने शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर जोर दिया ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। राज्यपाल ने शिक्षा को जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया बताया और विद्यार्थियों से अपनी गति से सीखने की सलाह दी, बिना दूसरों से तुलना किए। उन्होंने छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने, व्यायाम और पैदल चलने की आदत डालने, तथा नशे से दूर रहने की भी अपील की। इस अवसर पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल, कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर, सेंट लुईस विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. फ्रेड पेस्टेलो, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी, और विभिन्न संकायों के डीन एवं स्नातक उपस्थित थे। यह दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय की परंपरा और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। राज्यपाल के सुझाव और मार्गदर्शन उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।