
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की नई फसल बीमा योजना को लेकर विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान कृषि मंत्री एडवोकेट माणिकराव कोकाटे ने स्पष्ट किया कि किसानों के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी पाई गई बीमा कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें काली सूची में डाला जाएगा और भविष्य में उन्हें सरकारी योजनाओं से बाहर रखा जाएगा। विधान परिषद में सदस्य अमोल मिटकरी द्वारा फसल बीमा कंपनियों के अत्यधिक मुनाफे को लेकर उठाए गए प्रश्न पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को उचित और गारंटीकृत मुआवजा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री कोकाटे ने यह भी बताया कि वर्तमान योजना में फसल कटाई प्रयोग को केंद्र में रखा गया है ताकि वास्तविक नुकसान के अनुसार मुआवजा तय किया जा सके। यदि उत्पादन अनुमान से कम है, तो मुआवजा उसी के अनुसार मिलेगा, जिससे किसानों को उचित लाभ मिल सकेगा। चर्चा में नेता विपक्ष अंबादास दानवे, सदस्य सदाभाऊ खोत और सतेज पाटिल ने भी भाग लिया और विभिन्न मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा। इस पर कृषि मंत्री ने विश्वास दिलाया कि फसल नुकसान का पंचनामा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर किया जा रहा है और उनके सुझावों को गंभीरता से लिया जा रहा है। मंत्री कोकाटे ने यह भी स्पष्ट किया कि फसल बीमा योजना और पूंजी निवेश दो अलग विषय हैं। पहले सरकार बीमा कंपनियों को 5,000 रूपए से 6,000 करोड़ रुपये तक देती थी, लेकिन अब यह राशि घटाकर ₹760 करोड़ रुपये कर दी गई है। शेष 5,000 करोड़ रुपये अब मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई, कृषि गोदामों जैसे पूंजी निवेश में इस्तेमाल की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि आगामी पाँच वर्षों में कृषि क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जाए। अंत में, मंत्री कोकाटे ने विधान परिषद में आश्वासन दिया कि यदि योजना में किसी भी प्रकार का संशोधन आवश्यक पाया गया, तो सभी पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ बैठक आयोजित कर सुधार किए जाएंगे। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट रूप से किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना और बीमा प्रक्रिया को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है।