Saturday, June 21, 2025
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संसार की रक्षा के लिए मां काली ने किया था राक्षसों का वध

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चतुर्दशी या काली चौदस मनाया जाता है। दिवाली के पांच दिन के पर्व का यह दूसरा दिन होता है। काली चौदस के दिन मां काली की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि इस दिन मां काली ने असुरों का वध किया था। काली चौदस को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मां काली की विशेष पूजा आराधना की जाती है। जो भी जातक इस दिन मां काली की पूजा-अर्चना करता है, उसे मां काली के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। काली चौदस बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाल में काली चौदस को मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि काली चौदस को भूत पूजा के नाम से भी जाना जाता है। काली चौदस पर मां काली की पूजा करने से बेरोजगारी, बीमारी, शनि दोष, जादू-टोना, कर्ज़, बिजनेस में हानि जैसी समस्याएं खत्म होती हैं। इस दिन अभ्यंग स्नान करने की मान्यता है। महिलाएं इस दिन अपना रूप निखारने के लिए उबटन लगाती हैं। इसके अलावा शाम को दीपदान और यम तर्पण करने की परंपरा है। मान्यता के मुताबिक इस दिन दीपक जलाने से मृत्यु के देवता यमराज प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूर्वजों के नाम पर 14 दीपक जलाए जाते हैं।
पौराणिक कथा
नरक चौदस का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और नरकासुर से जुड़ा है। पौराणिक कथा के मुताबिक प्राचीन काल में नरकासुर नामक एक राक्षस था। जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर ऋषियों-मुनियों, देवी-देवताओं और सोलह हजार राजकुमारियों को कैद कर लिया था। जिसके बाद राजकुमारियों और देवताओं ने परेशान होकर भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर दिया। हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार, नरकासुर के वध से संपूर्ण पृथ्वी लोक प्रसन्न था। वहीं देवता भी काफी ज्यादा खुश थे। नरकासुर के वध की खुशी में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। जिसे छोटी दिवाली और काली चौदस कहा जाता है।नरकासुर के वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने ऋषियों-मुनियों, देवी-देवताओं और सोलह हजार राजकुमारियों को मुक्त कराया। तब राजकुमारियों ने कहा कि उन्हें अब समाज में सम्मान नहीं मिलेगा। इसलिए राजकुमारियों ने भगवान श्रीकृष्ण से इसका रास्ता निकालिए। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने 16 हजार राजकुमारियों को समाज में सम्मान दिलाने के लिए उनसे विवाह कर लिया। तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी या काली चौदस मनाए जाते की प्रथा है।

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