
पुणे। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), पुणे के त्रिशक्ति गेट पर शनिवार को पहले बाजीराव पेशवा की अश्वारूढ़ प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर उन्होंने बाजीराव पेशवा को भारत के सैन्य इतिहास का अद्वितीय योद्धा बताते हुए कहा कि “हर क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाए रखने की प्रेरणा और ऊर्जा हमें उनके जीवनचरित्र से मिलती है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ, मंत्री चंद्रकांत पाटील, थोरले बाजीराव प्रतिष्ठान अध्यक्ष एयर मार्शल (नि.) भूषण गोखले, दक्षिणी कमान प्रमुख ले. जनरल धीरज शेठ, एनडीए कमांडेंट वाइस एडमिरल गुरचरण सिंह, सांसद मेधा कुलकर्णी व अन्य गणमान्य मौजूद थे।
“रणनीति और राष्ट्रभक्ति का पर्याय हैं बाजीराव” — अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि बाजीराव पेशवा ने 20 वर्षों के सैन्य जीवन में 41 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। “वे केवल विजेता नहीं थे, बल्कि रणनीति, गति, समर्पण, बलिदान और देशभक्ति के शाश्वत आदर्श भी थे,” शाह ने कहा। पालखेड की लड़ाई को उन्होंने अद्वितीय रणनीतिक युद्ध बताया और कहा कि आज की सैन्य अकादमी में ऐसे योद्धाओं की स्मृति स्थलों का होना न केवल प्रेरक है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता और आत्मबल का संचार करता है।
“बाजीराव ने शिवाजी महाराज के स्वराज्य को विस्तार दिया” — फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “माँ जिजाऊ के संस्कारों में पले शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी और बाजीराव पेशवा ने उस स्वराज्य को अफगानिस्तान से बंगाल तक विस्तार दिया। वे एक भी युद्ध नहीं हारे।”
उन्होंने कहा कि बाजीराव की सबसे बड़ी शक्ति थी ‘गति’। जब मुगल सेना दिन में 10 किलोमीटर चलती थी, तब बाजीराव की सेना 80 किलोमीटर प्रतिदिन युद्धभूमि की ओर बढ़ती थी। उन्होंने इतिहासकार मॉन्टगोमेरी का हवाला देते हुए कहा कि पालखेड युद्ध को उन्होंने इतिहास की श्रेष्ठतम सैन्य रणनीति माना। फडणवीस ने यह भी कहा कि वर्षों तक अंग्रेजों और पश्चिमी इतिहासकारों ने मराठाओं के इतिहास को दबाया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन गुमनाम नायकों को राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिल रहा है।
“एनडीए में प्रेरणा का प्रतीक बनेंगे बाजीराव”
कार्यक्रम में एयर मार्शल (नि.) भूषण गोखले ने जानकारी दी कि एनडीए परिसर में पहले से ही छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराजा रणजीत सिंह, नरवीर तानाजी मालुसरे जैसी विभूतियों की प्रतिमाएं हैं, जो कैडेट्स को इतिहास से जोड़ने और प्रेरणा देने का कार्य करती हैं। राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि बाजीराव पेशवा की वीरगाथा केवल भारत में नहीं, विश्व की भाषाओं में जानी जानी चाहिए। यह प्रतिमा भारत के पराक्रम, प्रतिरोध और आत्मबल का प्रतिनिधित्व करती है।