
पुणे। पुणे लोकसभा उपचुनाव पर आखिरकार पूर्ण विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें चुनाव आयोग को पुणे उपचुनाव तुरंत कराने का आदेश दिया गया था। चुनाव आयोग की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इसी महीने हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को पुणे लोकसभा उपचुनाव जल्द से जल्द कराने का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर आज सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने उपचुनाव कराने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। आम चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है, इसलिए उपचुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। इस संबंध में अगली सुनवाई सात सप्ताह में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान उपचुनाव को लेकर कानून स्पष्ट किया जाएगा। पिछले साल 29 मार्च को बीजेपी सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद से पुणे लोकसभा की सीट खाली है। लेकिन कई महीनों बाद भी चुनाव आयोग ने पुणे लोकसभा की खाली सीट पर उपचुनाव नहीं करवाया। जिसके चलते पुणे के एक मतदाता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की और चुनाव आयोग के फैसले को मनमाना बताया। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव के लिए कोई कदम नहीं उठाने को लेकर हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की और आयोग को जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया। दरअसल 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त हो रहा है। चूंकि बापट के निधन के बाद से वर्तमान लोकसभा का टर्म पूरा होने में 15 महीने का समय बचा था, इसके बावजूद आयोग ने उपचुनाव नहीं कराने का फैसला लिया। आयोग का कहना था कि यदि पुणे उपचुनाव होते हैं, तो जीतकर आने वाले उम्मीदवार के पास सांसद के रूप में मुश्किल से कुछ महीनो का कार्यकाल बचेगा। साथ ही इससे 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ भी प्रभावित होंगी। इसी दलील के साथ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।