
मुंबई। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने विधान परिषद में स्पष्ट किया कि ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के पहले शासन निर्णय (GR) में निर्धारित पात्रता मानदंडों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, और पूरी प्रक्रिया इन्हीं दिशानिर्देशों के अनुसार संचालित हो रही है। यह स्पष्टीकरण सदस्य अनिल परब द्वारा योजना के कार्यान्वयन पर उठाए गए प्रश्न के उत्तर में दिया गया। चर्चा में सतेज (बंटी) पाटिल, अशोक (भाई) जगताप, शशिकांत शिंदे और चित्रा वाघ ने भी भाग लिया। मंत्री तटकरे ने बताया कि लाभार्थी महिलाओं की पात्रता और अपात्रता योजना के नियमों के अनुसार तय की जाती है, और आवेदनों की छानबीन इन्हीं मानकों के आधार पर की जा रही है। पात्रता जांच एक सतत प्रक्रिया है, और जो महिलाएँ मानदंडों को पूरा नहीं करतीं, उन्हें योजना का आर्थिक लाभ नहीं दिया जाता।
अब तक 2.63 करोड़ महिलाओं ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 2.52 करोड़ महिलाएँ पात्र पाई गई हैं। योजना 21 से 65 वर्ष की महिलाओं के लिए लागू है, इसलिए 65 वर्ष की उम्र पार करने वाली महिलाओं को हर महीने योजना से बाहर किया जाता है, जिससे लाभार्थियों की संख्या में बदलाव होता रहता है। अब तक 1.20 लाख महिलाएँ आयुसीमा पार करने के कारण योजना से बाहर हो चुकी हैं। इसी तरह, जो महिलाएँ विवाह के बाद दूसरे राज्यों में स्थायी रूप से बस गई हैं, उन्हें भी इस योजना में शामिल नहीं किया जाता। राज्य में लगभग ढाई करोड़ महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है और सरकार की इस पहल की व्यापक रूप से सराहना की जा रही है। योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता को 2,100 रुपए तक बढ़ाने की चर्चा पर मंत्री तटकरे ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि इस पर बजट में निर्णय लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल 2,100 रुपए की घोषणा नहीं की गई है।