
नागपुर। कांग्रेस नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने रविवार को दावा किया कि महाराष्ट्र विधानमंडल का सात दिन का शीतकालीन सत्र सरकार का चुनावी जुमला बनकर रह गया और इस दौरान विदर्भ के मुद्दों के बजाय मुंबई से जुड़े विषयों पर अधिक चर्चा हुई। नागपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में वडेट्टीवार ने कहा कि रविवार को समाप्त हुए सत्र में कुपोषण जैसे गंभीर और ज्वलंत मुद्दे पर न तो कोई ठोस चर्चा हुई और न ही कोई निर्णय सामने आया। उन्होंने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों का पहला चरण दो दिसंबर को संपन्न हो चुका है, लेकिन बृहन्मुंबई महानगरपालिका समेत अन्य नगर निकायों के चुनाव कार्यक्रम की अब तक घोषणा नहीं की गई है। वडेट्टीवार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य में शहरी और स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे किए जाने हैं, इसके बावजूद सरकार इस पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि शीतकालीन सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के तहत जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, वे विदर्भ से कम और मुंबई से अधिक जुड़े थे, साथ ही चर्चा के लिए कोई समय-सीमा भी निर्धारित नहीं की गई थी। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है और विपक्ष ने इसके कई उदाहरण सदन में रखे, लेकिन सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसी दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि वर्ष 2022 से महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल के माध्यम से 20.62 लाख करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े 190 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, लेकिन सरकार इन निवेशों की वास्तविक प्रगति पर स्पष्ट जानकारी देने में विफल रही है। पाटिल ने यह भी दावा किया कि राज्य में नशे का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र की अवधि बेहद कम रखी गई, जिसके कारण कई अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकी।




