
नई दिल्ली। शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ को लेकर चल रहे बहुचर्चित विवाद की अंतिम सुनवाई, जो बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित थी, एक बार फिर टल गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। यह सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष होनी थी, लेकिन सशस्त्र बलों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के कारण न्यायमूर्ति सूर्यकांत आज उपलब्ध नहीं थे। परिणामस्वरूप, शिवसेना विवाद पर पर्याप्त समय नहीं मिल सका और सुनवाई स्थगित कर दी गई। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि महाराष्ट्र में जनवरी 2026 में संभावित स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाए। उनका कहना था कि अंतिम फैसला इन चुनावों से पहले आना जरूरी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि शिवसेना के नाम और प्रतीक पर वास्तविक दावा किसका है। वहीं, एकनाथ शिंदे गुट के वकीलों ने दिसंबर में सुनवाई की तारीख मांगी, जिससे यह संकेत मिला कि वे मामले को कुछ और समय के लिए टालना चाहते हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 12 नवंबर की नई तारीख तय की और सिब्बल से पूछा कि उन्हें अपनी अंतिम दलीलों के लिए कितना समय चाहिए। इस पर उन्होंने कहा कि 45 मिनट पर्याप्त होंगे। ज्ञात हो कि शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर चल रही यह कानूनी लड़ाई लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इससे पहले भी यह सुनवाई कई बार स्थगित हो चुकी है।
राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह फैसला बेहद अहम होगा, क्योंकि इससे शिवसेना की वास्तविक पहचान और संगठनात्मक स्थिति तय होगी। उद्धव ठाकरे गुट जल्द से जल्द अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है, जबकि शिंदे खेमे की रणनीति सुनवाई में अधिक समय लेने की प्रतीत होती है। राजनीतिक हलकों में यह अटकलें भी तेज़ हैं कि यदि फैसला ठाकरे गुट के पक्ष में आता है तो महाराष्ट्र की राजनीति में शक्ति संतुलन एक बार फिर बदल सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें अब 12 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट संभवतः इस विवाद का अंतिम निपटारा कर सकता है।