
मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री भूषण गवई का मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में आयोजित एक विशेष सम्मान समारोह में भव्य अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय संविधान की महत्ता, समावेशिता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि भारत का संविधान अद्वितीय है, जो प्रत्येक नागरिक को देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने का अधिकार देता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने देश को एक ऐसा मजबूत संविधान दिया है, जिसने जाति, धर्म और वर्ग की सीमाओं को पार कर सभी को समान अवसर दिए। आज संविधान की बदौलत ही समाज के वंचित, शोषित और दमित वर्गों को न्याय और अधिकार प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के कारण ही महिलाएं, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोग देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पदों तक पहुंचे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की। उनके साथ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, विधानसभा अध्यक्ष एडवोकेट राहुल नार्वेकर, उपसभापति डॉ. नीलम गोरहे, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले, उपाध्यक्ष अण्णासाहेब बनसोडे, तथा विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे सहित कई मंत्री और विधायक उपस्थित थे। मुख्य न्यायाधीश ने संविधान के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि “डॉ. आंबेडकर ने एक समावेशी संविधान के लिए अडिग रुख अपनाया, जिससे देश को जाति और धर्म के आधार पर बंटने से बचाया गया और सभी को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का अनुभव कराने वाली व्यवस्था मिली। उन्होंने संविधान के 75 वर्षों के सफर को रेखांकित करते हुए कहा कि देश ने संविधान की अमृत जयंती पूरी कर ली है और इस दौरान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ने मिलकर संविधान की भावना के अनुरूप कार्य किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्य न्यायाधीश गवई की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह राज्य के लिए गर्व का विषय है कि महाराष्ट्र का एक मराठी व्यक्ति आज भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन है। श्री गवई के निर्णयों में संवेदनशीलता, मानवता और सामाजिक न्याय की गहराई दिखाई देती है।” उन्होंने याद किया कि जब गवई नागपुर में न्यायाधीश थे, तब उन्होंने झुग्गियों के तोड़े जाने के खिलाफ जनहित में सर्वोच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त किया, और टाइगर कॉरिडोर परियोजना के तहत रुके हुए सड़क निर्माण कार्यों को पुनः शुरू करवाने के लिए समिति गठित की, जिसमें मानवीय दृष्टिकोण और विकास का संतुलन सुनिश्चित किया गया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब गवई विधायक निवास में रहते थे, तब उन्होंने अपने लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की और बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते रहे। “उन्होंने दिखा दिया कि एक साधारण व्यक्ति भी अपनी लगन और निष्ठा से असाधारण बन सकता है,” फडणवीस ने कहा। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने श्री गवई की नियुक्ति को “सामाजिक समानता और समावेशिता की जीत” बताया। उन्होंने कहा कि न्याय करते समय उन्होंने हमेशा संवेदनशीलता, गरिमा और संविधान के मूल्यों को सर्वोपरि रखा। “श्री गवई ने समाज के कमजोर वर्गों को न्याय और अधिकार प्रदान किए, और यह दिखाया कि कानून और मानवता साथ-साथ चल सकते हैं। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस सम्मान समारोह को लोकतंत्र के इतिहास में “स्वर्णाक्षरों में दर्ज होने वाली घटना” कहा। उन्होंने कहा, “यह ऐसा क्षण है जब लोकतंत्र का एक स्तंभ- विधायिका, न्यायपालिका जैसे दूसरे स्तंभ को खुले रूप में श्रद्धांजलि और सम्मान दे रहा है। इससे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की गहराई और परिपक्वता का परिचय मिलता है। मुख्य न्यायाधीश गवई ने अंत में कहा कि “महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाज़े खोले। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी हैं। संविधान ने इस सामाजिक क्रांति को मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि संविधान के प्रति उनकी कृतज्ञता इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह उन्हें एक वंचित समुदाय के सदस्य को देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंचाने में सक्षम बना पाया। कार्यक्रम के अंत में सभी नेताओं और विधायकों ने मुख्य न्यायाधीश गवई को सम्मानित किया और उनके न्यायिक कार्य को देश के लोकतांत्रिक इतिहास का महत्वपूर्ण प्रकाश स्तंभ बताया।