
मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राचीन भारत विश्व की सबसे विकसित सभ्यताओं में से एक और एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति था। भारत का ज्ञान, परंपरा और संस्कृति ही उसे वैश्विक नेतृत्व प्रदान करती थीं। यदि इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ा जाए, तो भारत एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ बन सकता है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री फडणवीस बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित ग्रैंड हयात होटल में आयोजित वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर केपी ग्लोबल के अध्यक्ष राजेश शर्मा, वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी विद्यानंद, जेएसडब्ल्यू ग्रुप के अध्यक्ष सज्जन जिंदाल तथा आईटी मंत्रालय के सीईओ एवं एमडी शैलेश त्रिवेदी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
नवाचार, आत्मनिर्भरता और समृद्धि पर जोर
मुख्यमंत्री ने “इनोवेशन, सेल्फ रिलायंस एंड प्रोस्पेरिटी” की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदू केवल एक धर्म नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही जीवन पद्धति और विचारधारा है। अनेक प्राचीन सभ्यताएं समाप्त हो गईं, लेकिन सिंधु–हिंदू सभ्यता आज भी जीवंत है, जो लगभग दस हजार वर्षों की सांस्कृतिक निरंतरता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत नवाचार का केंद्र रहा है। खगोलशास्त्र, भूगोल और विज्ञान के अनेक उन्नत सिद्धांतों का उल्लेख वेदों और वैदिक साहित्य में मिलता है। वर्तमान में दुनिया पांचवीं औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रही है, जिसमें डिजिटलीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस क्रांति की रीढ़ उत्पादन क्षेत्र है और नवाचार की जड़ें भी यहीं से निकलती हैं। भारत में इस वैश्विक परिवर्तन का नेतृत्व करने की पूरी क्षमता है।
एआई और तकनीक में भारत की बढ़त
मुख्यमंत्री ने माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक दुनिया में सबसे अधिक डेवलपर्स भारत में होंगे। एआई और डेटा के क्षेत्र में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिससे उद्योगों में बड़े बदलाव हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अवधारणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए आत्मनिर्भरता अनिवार्य है। स्वदेशी उत्पादन और भारतीय कंपनियों के माध्यम से तकनीक का विकास किया जा रहा है। भारत केवल तकनीक की नकल नहीं करता, बल्कि उसे समझकर आत्मनिर्भर बनने की क्षमता रखता है।
अफ्रीका में भारत के लिए अपार अवसर
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण उस पर वैश्विक भरोसा घटा है, जबकि भारत के नेतृत्व और संस्कृति पर दुनिया का विश्वास बढ़ा है। अफ्रीका में विकास की अपार संभावनाएं हैं और जो देश वहां सक्रिय भूमिका निभाएगा, वही वैश्विक नेतृत्व करेगा। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच मजबूत संबंध हैं और कई अफ्रीकी देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि मुंबई में जल्द ही 54 अफ्रीकी देशों की मेजबानी के लिए एक भव्य इमारत का निर्माण किया जाएगा। अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और नई तकनीकों के लिए आवश्यक कच्चा माल वहां उपलब्ध है। अफ्रीका में उत्पादन शुरू होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा, जिसका नेतृत्व भारत करेगा।
निवेश और विकास को मिला बल
इस अवसर पर श्री सीमेंट के बांगर ग्रुप ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश का आशय पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा। इसे राज्य के विकास पर उद्योग जगत के भरोसे का प्रतीक बताया गया।
स्वामी विद्यानंद ने कहा कि इस फोरम का उद्देश्य देश का समग्र विकास है और सच्चा विकास तभी संभव है, जब हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त बने। राजेश शर्मा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है। वहीं सज्जन जिंदाल ने महाराष्ट्र को देश का सबसे प्रगतिशील राज्य बताते हुए कहा कि दावोस में हुए तीन लाख करोड़ रुपये के एमओयू अब धरातल पर उतर रहे हैं, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जाता है। इस कार्यक्रम में देशभर से बड़ी संख्या में उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया।




