मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर की चुनाव याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मुंबई उत्तर-पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से एकनाथ शिंदे गुट के रवींद्र वायकर की जीत को चुनौती दी थी। वायकर ने यह चुनाव केवल 48 वोटों के मामूली अंतर से जीता था। अमोल कीर्तिकर ने 16 जुलाई को दायर अपनी याचिका में मतगणना प्रक्रिया में गंभीर विसंगतियों का आरोप लगाया। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि वायकर का चुनाव रद्द किया जाए और उन्हें उक्त निर्वाचन क्षेत्र से विधिवत निर्वाचित घोषित किया जाए। याचिका में दावा किया गया कि मतगणना के दौरान 333 टेंडर वोट डाले गए थे, लेकिन उनमें से 120 वोट गायब थे और उनकी गिनती नहीं की गई। टेंडर वोट तब डाले जाते हैं, जब कोई मतदाता यह पाता है कि उसके नाम से पहले ही किसी ने वोट डाल दिया है। भारतीय चुनाव अधिनियम के तहत ये वोट फॉर्म 17-बी का उपयोग करके दर्ज किए जाते हैं और बैलेट पेपर पर दर्ज होते हैं। कीर्तिकर ने आरोप लगाया कि उनके मतगणना एजेंटों को टेबल पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई और मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन का इस्तेमाल देखा गया, जो चुनाव नियमों का उल्लंघन है। वायकर के वकील अनिल सखारे ने तर्क दिया कि कीर्तिकर की याचिका में कोई दम नहीं है और यह केवल आरोपों पर आधारित है। उन्होंने अदालत से इसे खारिज करने का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने गुरुवार को याचिका खारिज कर दी, हालांकि विस्तृत आदेश अभी जारी नहीं हुआ है। गौरतलब है कि रवींद्र वायकर ने 452,644 वोटों के साथ जीत हासिल की थी, जबकि अमोल कीर्तिकर को 452,596 वोट मिले थे। यह मामूली अंतर केवल 48 वोटों का था, जिसके कारण यह चुनावी मुकाबला काफी चर्चा में रहा। यह मामला चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायिक समीक्षा की अहमियत को रेखांकित करता है। विस्तृत आदेश से याचिका खारिज करने के कारण स्पष्ट होंगे।