
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को याचिकाकर्ता को रोहित आर्य के कथित “फर्जी एनकाउंटर” की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। रोहित आर्य को पिछले महीने मुंबई पुलिस ने एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान गोली मार दी थी। जस्टिस अजय गडकरी और आर.आर. भोंसले की बेंच ने याचिका वापस लेने की इजाज़त देने के साथ ही मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने प्राइवेट शिकायत दर्ज करने की छूट भी दी। याचिका शोभा बुद्धिवंत ने वकील नितिन सतपुते के ज़रिए दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आर्य को “आत्मरक्षा और एक राजनीतिक नेता के कहने पर बदले की भावना से” मारा गया। याचिका में यह भी दावा किया गया कि राज्य सरकार द्वारा उसके बकाया पैसे क्लियर न करने के कारण आर्य मानसिक तनाव में था। वकील सतपुते ने बताया कि याचिका दायर करने से पहले पुलिस को लिखित शिकायत भेजी गई थी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक नोटिस था, शिकायत नहीं। बेंच ने कहा, “आपको कानून के मुताबिक प्राइवेट शिकायत दर्ज करनी होगी। इसे कई अथॉरिटीज़ के पास नहीं, बल्कि संबंधित पुलिस स्टेशन में ही दर्ज कराना चाहिए। सतपुते ने यह भी दलील दी कि पुलिस ने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदलने का अनुरोध किया। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह मामला जनहित का नहीं है। याचिका में मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच से मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की गई थी, जिसमें पक्षपात का आरोप लगाया गया था। ज्ञात हो कि आर्य ने 30 अक्टूबर को मुंबई के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था और कथित तौर पर एयर गन से पुलिस पर फायरिंग की थी। इस घटना के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में उसे गोली लगी थी।




