पीएम मोदी बीजेपी के लिए विश्वगुरू हो सकते हैं तो राहुल गांधी दुनिया के लिए खासकर भारत के गरीब मजदूरों, रेहड़ी पटरी पर शाक सब्जी बेचने वाले, लकड़ी का काम हो या मोटर बाइक रिपेयरिंग करने वालों, दिहाड़ी मजदूर हों या लघु किसान या फिर आम व्यक्ति सबले दिलों में अपनेपन का एहसास कराने और लोगों के दिल में घर कर लेने में माहिर मसीहा बन चुके राहुल लोकप्रियता में मोदी को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं। ये वही राहुल गांधी हैं जिन्हें पप्पू, काहिल, सोने का चम्मच मुंह में लेकर पैदा होने वाले, कुर्ते के ऊपर जनेऊ पहनने वाले अनाड़ी राहुल कहे जाते थे। उस राहुल गांधी को नए अवतार में दुनिया ने देखा जब वे विदेशी यूनिवर्सिटी में बोलने लगे थे। बेबाकी से भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों के छीजन की बात कहते थे।दुनिया भर के ख्यात हो चुके राहुल गांधी का दूसरा रूप जो उन्हें दिए गए आलसी विशेषण को झुठलाता हुआ भारत जोड़ों पद यात्रा में लगभग चार हजार किलोमीटर दूरी वह भी भीषण ठंड में केवल एक टी शर्ट पहने, आम युवा युवतियों मजदूरों किसानों बेरोजगारों के साथ गलबहियां डाले आगे और आगे ही बढ़ते जाते थे। तीसरे राहुल को दुनिया ने देखा जब जलते अशांत मणिपुर की अमानवीय त्रासदी को सरकार छिपा रही थी, बेघर बार ,अपना सब कुछ खोकर शरणार्थी बने लोगों के बीच पहुंचकर उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाते दिखते। चौथा राहुल जिस पर झूठे आरोप लगाए जाते थे कि संसद अधिवेशन छोड़कर विदेश सैर करने निकल जाते हैं। अगंभीर कहे जाने वाले राहुल संसद में मझे हुए राजनेता की भांति बेबाकी से सरकार की आंखों में आंखें डालकर पूछते थे, अडानी की कंपनी में मारिसस से आया बीस हजार करोड़ किसके हैं? राहुल गांधी के इस तेवर से सरकार घबड़ा जाती है और ललित मोदी नीरव मोदी के नाम लेकर एक रैली में पूछते हैं सारे भगोड़ों के सरनेम मोदी ही क्यों है? सरकार के लिए असहज बन चुके राहुल को गुजरात की दोनो कोर्टों द्वारा दो साल की बेमिसाल सजा दी जाती है। सरकार चौबीस घंटे में उनकी संसद सदस्यता छिन कर माफी मांगने को कहती है फिर भी अडिग राहुल तनिक भी भयभीत नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सांसद फिर बन जाते हैं। उनके तेवर से विपक्ष को संबल मिलता है। मोदी सीबीआई और ईडी को और अधिक शक्तिशाली बनाकर विपक्ष खत्म करने के लिए शिवसेना और राकांपा के कथित भ्रष्ट लोगों को पार्टी तोड़कर अपने साथ कर उन्हें मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री और मंत्री बनाकर भ्रष्ट नहीं होने का सर्टिफिकेट दे देते हैं। विपक्ष पूछता है वाशिंग मशीन में कैसे भ्रष्ट धुलकर ईमानदार हो जाते हैं। जो विपक्षी नेता शरण में नहीं आता उसे डराने, धमकाने और जेल में डालने का कुचक्र ईडी के मार्फत किया जाने लगता है। कथित रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर जो विपक्षी सत्ता से हाथ नहीं मिलाता उसे जेल भेजा जाता है। लालू यादव परिवार हो या डीएम के या टीएमसी या फिर आम आदमी पार्टी सारे नेताओं को बिना किसी सबूत के जेल भेजा जाने लगा है। राहुल गांधी ने मोदी के इस दांव को उलट कर खत्म कर दिया। विपक्षी दलों को एकजुट कर इंडिया संगठन के रूप में 63 प्रतिशत वोट एकजुट कर लिया जबकि बीजेपी और उसके 36 सहयोगी दल के पास मात्र 37 प्रतिशत वोट बचे। दूसरा प्लान के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया और आधे अधूरे बने नए संसद भवन में जाने का स्वप्न पूरा करते हुए महिला आरक्षण बिल पास कराकर आधी आबादी के 50 प्रतिशत वोट को बीजेपी के पक्ष में करने की चाल को मात देते हुए राहुल गांधी ने 40 प्रतिशत वोटों में सेंध लगा दी। कहा, महिला आरक्षण बिल में दलित पिछड़ी वंचित एससी, एसटी और ओबीसी के लिए जगह कहां है महिला आरक्षण कानून में? राहुल गांधी ने मोदी को मात देते हुए महिलाओं के 40 प्रतिशत वोट छीन लिए। शेष 10 प्रतिशतसवर्ण महिलाओं के भी वोट बीजेपी को एकमुश्त नहीं मिलेंगे क्योंकि सवर्ण कई विचार धाराओं में बंटे हुए हैं। मोदी का तीसरा बड़ा दांव मुफ्त राशन 80 प्रतिशत देशवासियों को देने के दावे को कुंद करते हुए राहुल गांधी ने कहा, सरकार ने आटा दाल चावल खाद्यतेल साबुन यहां तक कि शिक्षा पर भी जीएसटी लगा दिया है। देश की जीडीपी का 70 प्रतिशत धन इन्हीं गरीबों के पैसे से आता है और मुफ्त बांटने का दावा ही गलत है! मोदी अपनी हर रैली में कांग्रेस और विपक्षी दलों के वंशवाद पर सवाल करते रहते हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष एक दलित को बनाकर साबित ही नहीं बल्कि चैलेंज भी कर दिया कि जय शाह, पंकज सिंह, खेल मंत्री और बहुगुणा कौन हैं। चौथा दाव भी मोदी का फेल कर दिया राहुल गांधी ने। अब जब बीजेपी सांसद ऋषिकांत दुबे जिनकी डिग्री को भी विपक्ष फेक कहता है ने पहले पत्रकारों उर्मिलेश और दूसरे पत्रकारों पर चीन से फंडिंग के आरोप लगाए। जांच एजेंसियों ने तमाम इन पत्रकारों पर छापे डाले। उनकी मोबाइल और लैपटॉप उठा ले गए। उन पर मानी लांडरिंग का केस बनाया गया। कथित रूप से आम आदमी पार्टी के संजय सिंह आदि को शराब घोटाले की आड़ में मनी लांडरिंग का केस बिना किसी प्रमाण के जेल में भेजने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब पूछा, क्या सबूत है आपके पास तो उत्तर दे नहीं सकी ईडी। जस्टिस ने स्पष्ट कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के किसी को भी इतने समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। महुआ मोइत्रा सांसद ने सदन में कहा, पागल आदमी के हाथ में माचिस किसने दी? आशय अडानी की ओर था। बीजेपी सांसद ऋषिकांत दुबे ने उनके विरुद्ध स्पीकर को पत्र लिखा। यहां भी मामला महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा है। महुआ को दंडित कराने के लिए इनपर भी सदस्यता खत्म करने की तलवार लटकाई जा रही। महुआ ने पूछा था कि अमित शाह ने लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणाम घोषित करने के लिए मत गणना हुई भी नहीं थी कैसे कहा कि उन्हें 303 सीटों पर जीत मिल रही है।यह आंकड़ा उन्हें कहां से मिला? जाहिर है उन 303 सीटों पर अडानी ने पानी की तरह पैसा बहाया था।मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की ही शर्त पर अडानी ने पैसे लगाए हैं। बहुत कम लोगों को मालूम है कि एक समय था जब गुजरात में मोदी अडानी के स्कूटर पर पीछे बैठते थे। पीएम बनने के बाद मोदी अडानी के जहाज में बैठकर विदेश जाते रहे हैं और आस्ट्रेलिया में सरकार और बैंकों को कहकर अडानी को ठेका दिलाया यही कार्य श्रीलंका और फ्रांस में किया। अडानी और अंबानी दोनो गुजरातियों को मोदी ने रेल तेल बिजली पोर्ट एयरपोर्ट सेल भेल बेच दिया। पूरे भारत पर आज अदानी और अंबानी का ही एकछत्र राज्य है।सच तो यह है कि केंद्र सरकार मोदी नहीं अडानी और अंबानी चला रहे ऐसे में महुआ पर कॉरपोरेट से पैसे लेकर अडानी के विरुद्ध सांसद में सवाल पूछने का ऋषिकांत दुबे द्वारा लगाया आरोप काल्पनिक है। उनकी संसद सदस्यता रद्द कराने की साजिश है। मोदी नहीं चाहते कि कोई सांसद उनके और अडानी के संबंधों के संदर्भ में सवाल करे। राहुल गांधी की सदस्यता अडानी और मोदी संबंध को लेकर सवाल पूछने पर गई थी। संजय सिंह को भी सवाल पूछने के कारण जेल भेजा जा चुका है। तमाम विपक्षी सांसदों को भी सवाल पूछने पर निलंबित किया जाना क्या है? पूरा देश अडानी और अंबानी को बेचने पर भी निर्यात घट गया है। उत्पादन और रोजगार घट गया है। मोदी द्वारा अमेरिका फ्रांस से रक्षा सौदे करने के कारण भारत की विदेशी मुद्रा का भंडार छीज़ रहा है। खुद को दिवालिया घोषित करने वाले अनिल अंबानी को राफेल बनाने का ठेका हो या सरकारी संस्थानों से आयुष निर्माण छीनकर बिना किसी अनुभव के ही अडानी को देने से क्या हमारी सेना की गोपनीयता सुरक्षित रहेगी? शत्रु देश को सारी टेकनोल्जी बेचकर क्या अडानी दौलत जमा करना भीं चाहेंगे? व्यापारी व्यापार करना छोड़ नहीं सकता। महुआ राहुल गांधी सरकार से सवाल पूछना बंधन करेंगे। इसी बीच जाति अनुसार जनगणना का मुद्दा गरम हो चुका है। राहुल गांधी चाहे तेलंगाना हो या मध्यप्रदेश चुनाव जीतने पर जाति आधारित जनगणना कराने के वादे कर रहे हैं जिसका चुनाव पर व्यापक असर पड़ेगा। मध्यप्रदेश में मोदी ने हार मान ली है इसीलिए उन्होंने मध्यप्रदेश की जनता के नाम पत्र लिखकर उनका हाथ मजबूत करने का आग्रह किया है