
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि वह पूरी जांच नहीं कर सकता, लेकिन कम से कम प्रभावित लोगों के हलफनामे जरूर पेश किए जाएं। साथ ही, चुनाव आयोग (ईसीआई ) से 3.66 लाख हटाए गए वोटर्स की पूरी जानकारी मांगी। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाए कि डिलीट हुए लोगों के हलफनामे कहां हैं? जस्टिस कांत ने कहा, “कोई प्रभावित व्यक्ति कोर्ट में हलफनामा दाखिल करे कि मेरा नाम हटा दिया गया है।” उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर किसी वोटर का नाम फाइनल लिस्ट में न हो, तो वह हलफनामा दाखिल कर सकता है। कोर्ट ने ECI से पूछा कि हटाए गए लाखों लोगों में से कितने ने शिकायत की? ईसीआई के वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि अभी तक कोई अपील या शिकायत नहीं आई।
जस्टिस बागची ने ईसीआई से कहा कि अब तीन लिस्ट हैं — 2022 की, 2025 की ड्राफ्ट और फाइनल। ड्राफ्ट में 65 लाख नाम हटाए गए थे। फाइनल लिस्ट में कुछ नाम जोड़े गए, लेकिन ये डिलीट हुए नामों के हैं या नए वोटर्स के? ईसीआई ने जवाब दिया कि ज्यादातर नए वोटर्स हैं, जो 18 साल पूरे करने वाले हैं। जस्टिस कांत ने याद दिलाया कि ईसीआई ने पहले कहा था कि 2.96 लाख नए वोटर्स ने आवेदन किया। कोर्ट ने कहा कि ये जांच चुनाव प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए है।
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह 100 हलफनामे ला सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि नाम हटाने में सिस्टम की खामी है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “कम से कम 100–200 लोगों की लिस्ट लाएं, जो अपील करना चाहते हैं लेकिन नोटिस नहीं मिला।” भूषण ने वादा किया कि अगली सुनवाई से पहले हलफनामे दाखिल करेंगे। कोर्ट ने ईसीआई को ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट का तुलनात्मक विश्लेषण देने को कहा, जो 30 सितंबर को जारी हुई। जस्टिस कांत ने कहा कि कुछ अवैध प्रवासी नाम हटने पर सामने नहीं आना चाहते, क्योंकि डर है कि उनकी पहचान हो जाएगी। भूषण ने तर्क दिया कि 3.6 लाख लोग हलफनामा नहीं दाखिल कर सकते, लेकिन अपील का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि प्रभावित लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट न आएं, जिला स्तर पर अपील करें। ईसीआई के वकील ने कहा कि कोई भी नाम हटाना या जोड़ना बिना नोटिस के नहीं हुआ। एसआईआर क्या है: बिहार में 25 जून को SIR की शुरुआत हुई थी। 30 सितंबर को ईसीआई ने बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट जारी की। SIR अभियान से पहले 7.89 करोड़ वोटर्स थे, जो अब घटकर 7.42 करोड़ हो गए — यानी 47 लाख की कमी। ड्राफ्ट लिस्ट (1 अगस्त) में 65 लाख नाम हटाए गए थे (मौत, माइग्रेशन, डुप्लीकेट आदि कारणों से)। उसके बाद 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए, लेकिन फाइनल में 3.66 लाख और हटे, जिससे नेट बढ़ोतरी 17.87 लाख हुई। भूषण ने कहा कि जनवरी 2025 की मूल लिस्ट से कुल कितने नाम हटे और नए जोड़े गए, यह ईसीआई आसानी से बता सकता है।