
मुंबई। कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों की देवरहाटी भूमि, जो राज्य सरकार की संपत्ति है और राजस्व प्रशासन के अधीन आती है, उस पर रुके हुए विकास कार्यों को गति देने के लिए राजस्व राज्य मंत्री योगेश कदम ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि संबंधित प्रस्ताव तत्काल प्रस्तुत किए जाएं। उन्होंने इस विषय पर मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। इन जमीनों पर प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के निकट मूलभूत सुविधाओं और सामाजिक विकास कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। हालांकि, ये कार्य वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अंतर्गत आवश्यक वन अनुमति के अभाव में अटके हुए हैं।
राज्यमंत्री कदम ने कहा कि इन लंबित परियोजनाओं के समाधान हेतु तत्काल सकारात्मक निर्णय आवश्यक है, जिससे इन क्षेत्रों में विकास कार्यों की राह आसान हो सके। उन्होंने अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 1996 के निर्णय के अनुसार दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए विकास कार्यों की अगली कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों के कई गांवों में मंदिर, सभा मंडप, आंगनवाड़ी, स्कूल, शौचालय आदि जैसी आधारभूत सुविधाएं वन अनुमति के अभाव में वर्षों से लंबित हैं। स्थानीय प्रतिनिधि, ग्राम पंचायतें और प्रशासन लगातार इनके लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब इन कार्यों को गति देना समय की मांग है। राज्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह विषय संवेदनशील है, जिसमें न्यायिक निर्णय, कानूनी पहलू और स्थानीय जनता की भावनाओं का समुचित संतुलन आवश्यक है। सरकार इस दिशा में गंभीर है और जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे। बैठक में दूरसंचार प्रणाली के माध्यम से कोंकण विभागीय आयुक्त विजय सूर्यवंशी, रत्नागिरी जिलाधिकारी एम. देवेंद्र सिंह, सिंधुदुर्ग जिलाधिकारी अनिल पाटील, विभागीय वन अधिकारी चिपलून, उपवन संरक्षक सावंतवाड़ी और मंत्रालय में राजस्व तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह बैठक इस ओर संकेत देती है कि राज्य सरकार अब कोंकण क्षेत्र की देवरहाटी जमीनों को लेकर लंबित विकास कार्यों पर गंभीर और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाकर तेजी से निर्णय लेगी।