
मुंबई। आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ महायुति में खींचतान की चर्चा तेज हो गई है। जहां शीर्ष नेतृत्व गठबंधन बनाए रखने का दावा कर रहा है, वहीं स्थानीय स्तर पर असंतोष और विरोध खुलकर सामने आने लगा है। इसी कड़ी में अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद प्रफुल्ल पटेल के बयान ने हलचल मचा दी है। गोंदिया जिले के तिरोदा में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में पटेल ने कार्यकर्ताओं से स्पष्ट कहा कि महायुति को लेकर भ्रम पालने की जरूरत नहीं है। यदि गठबंधन में सीटें अनुकूल मिलती हैं तो ठीक, अन्यथा पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। पटेल ने कार्यकर्ताओं से कहा कि सभी जगह गठबंधन संभव नहीं है, क्योंकि जहां-जहां पार्टी के इच्छुक उम्मीदवार मौजूद हैं, वहां उन्हें मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापौर या नगराध्यक्ष चुनावों में सभी के वोटों की जरूरत पड़ती है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती। पटेल ने साफ संकेत दिया कि यदि पिछली बार कोई सीट सहयोगी दल के पास थी, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह सीट इस बार भी उन्हें ही जाएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे हर वार्ड और महापौर की सीट को लक्ष्य बनाकर चुनावी तैयारी शुरू करें। सांसद पटेल ने यह भी कहा कि उम्मीदवार तय करते समय आरक्षण व्यवस्था को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला, ओबीसी, एससी-एसटी और मुस्लिम वर्ग जैसे बड़े तबकों को देखते हुए पार्टी को रणनीति बनानी चाहिए। पटेल ने दावा किया कि ‘घड़ी’ (राकां का चुनाव चिन्ह) को वोट देने वाला वर्ग अलग है और इस वर्ग के समर्थन से पार्टी को अधिक लाभ मिल सकता है। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अजित पवार की राकां स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति से अलग होकर अकेले उतरने का विकल्प खुला रख रही है। हालांकि, फिलहाल अजित पवार या महायुति के अन्य नेताओं की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।