मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट चुनाव पर रोक लगाने संबंधी फैसले की शुक्रवार को आलोचना की और दावा किया कि यह कदम महाराष्ट्र सरकार के ‘‘तानाशाही’’ रवैये और किसी भी तरह के चुनाव कराने के भय को दर्शाता है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 10 सितंबर को होने वाले चुनावों पर रोक लगाने संबंधी विश्वविद्यालय के फैसले के पीछे की क्या वजह है। ठाकरे ने कहा मुख्यमंत्री डरपोक हैं। वे पुणे लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव और स्थानीय स्वशासन के चुनाव नहीं करा रहे हैं। हमने सोचा कि कम से कम मुंबई विश्वविद्यालय के चुनाव होंगे। सीनेट आपकी सरकार को नहीं गिरायेगी, लेकिन हम गिरायेंगे। आप सीनेट से क्यों डरते हैं? ठाकरे ने कहा कि जब उनके नेतृत्व वाली युवा सेना ने 2010 में 10 सीट पर चुनाव लड़ा, तो उसने आठ सीट पर जीत हासिल की और 2017 में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी। विश्वविद्यालय के इस फैसले को लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक बताते हुए, ठाकरे ने कहा चुनाव 10 सितंबर को होने थे और चुनाव पर क्यों रोक लगाई गई है, इसका कोई कारण नहीं बताया गया। मुंबई विश्वविद्यालय ने बृहस्पतिवार को सीनेट के चुनाव पर रोक लगाने संबंधी अपने फैसले की घोषणा की थी। सीनेट ऐसी संस्था है, जिसमें शिक्षकों, प्राचार्यों और प्रबंधन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। राकांपा की युवा शाखा के उपाध्यक्ष अमोल माटेले ने कहा कि जब तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक कुलपति का घेराव किया जायेगा। उन्होंने एक बयान में कहा सीनेट चुनाव पर रोक लगाना राज्य सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाता है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता अमित ठाकरे ने भी इस फैसले के लिए राज्य सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इससे स्पष्ट है कि वह तानाशाही तरीके से शासन करना चाहती है।