
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय बाद एक ऐतिहासिक तस्वीर देखने को मिली, जब शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए। शुक्रवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित ‘दीपोत्सव 2025’ समारोह का उद्घाटन उद्धव ठाकरे ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। इस कार्यक्रम में ठाकरे परिवार के कई सदस्य मौजूद थे। राज ठाकरे खुद गाड़ी चलाकर उद्धव ठाकरे को अपने साथ लेकर पहुंचे।यह दृश्य राजनीतिक ही नहीं, बल्कि पारिवारिक सौहार्द का प्रतीक बन गया। दीपोत्सव कार्यक्रम में आदित्य ठाकरे सहित ठाकरे परिवार के कई सदस्य शामिल हुए। हर साल की तरह इस बार भी मनसे की ओर से आयोजित दीपोत्सव में हजारों लोगों की मौजूदगी रही, लेकिन इस बार कार्यक्रम की खासियत थी **ठाकरे भाइयों की एकता का संदेश। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच पिछले कई वर्षों से राजनीतिक दूरी बनी हुई थी, जो अब पिघलती नजर आ रही है। कार्यक्रम के मंच पर दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से एक-दूसरे का अभिवादन किया और एक साथ दीप प्रज्वलित किया। सूत्रों के अनुसार, पिछले दो महीनों में ठाकरे बंधु छह बार मिल चुके हैं, जिनमें से दो मुलाकातें बंद दरवाजों के पीछे हुईं। कुछ दिन पहले राज ठाकरे ने ‘मातोश्री’ जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी, जबकि उससे पहले उद्धव ठाकरे ‘शिवतीर्थ’, राज ठाकरे के आवास पर गए थे। यह लगातार संवाद पिछले कई वर्षों में पहली बार देखने को मिला है।
बीएमसी चुनाव की तैयारी में एकजुटता के संकेत
इन मुलाकातों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के बाद अब यह चर्चा तेज है कि मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे एक साथ मैदान में उतर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर दोनों दलों का गठबंधन होता है, तो मुंबई में बीजेपी के लिए यह एक बड़ा चुनावी चुनौती साबित हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस संभावित गठबंधन को लेकर औपचारिक घोषणा या सीट बंटवारे पर बातचीत पूरी नहीं हुई है। लेकिन दीपोत्सव के इस मंच ने ठाकरे परिवार की एकता की वह तस्वीर पेश की, जिसकी प्रतीक्षा महाराष्ट्र की राजनीति लंबे समय से कर रही थी। वही विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे भाइयों की बढ़ती नजदीकियां न केवल मराठी मतदाता आधार के पुनर्गठन की दिशा में एक कदम हैं, बल्कि यह संकेत भी देती हैं कि उद्धव और राज ठाकरे आने वाले समय में बीजेपी के खिलाफ साझा मोर्चा बना सकते हैं। शिवाजी पार्क का दीपोत्सव, जो अब तक एक सांस्कृतिक आयोजन था, इस बार राजनीतिक पुनर्मिलन का प्रतीक बन गया। एक ऐसी तस्वीर जिसने मुंबई से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज कर दी है।




