
मुंबई। गरीब, मजदूर और मेहनतकश वर्ग के लिए शुरू की गई शिवभोजन थाली योजना इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही है। शासन ने इस योजना से जुड़े केंद्र संचालकों के बिलों का भुगतान रोक रखा है। फरवरी से सात महीने का अनुदान न मिलने के कारण केंद्र संचालकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और यदि शासन की ओर से तुरंत सहायता नहीं मिली, तो यह योजना पूरी तरह ठप हो सकती है। गरीब और मजदूर वर्ग को कम दाम में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू हुई इस योजना में एक थाली की कीमत 50 रुपये है। इसमें से 10 रुपये लाभार्थी से लिए जाते हैं और शेष 40 रुपये शासन अनुदान के रूप में देता है। लेकिन पिछले सात महीनों से यह अनुदान नहीं मिलने के कारण केंद्र संचालकों को बिजली बिल, किराया, किराना, सब्जी और गैस जैसी आवश्यकताओं का खर्च उठाना कठिन हो गया है। कर्मचारियों को वेतन देना भी असंभव हो गया है। कई केंद्र संचालक अब उधारी पर सामान मंगवा रहे हैं, लेकिन किराना दुकानदारों ने भी उधारी देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में शिवभोजन थाली के लिए अनाज और ईंधन जुटाना मुश्किल हो गया है। नतीजतन योजना बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। केंद्र संचालकों ने शासन को बार-बार अनुदान जारी करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द भुगतान नहीं हुआ, तो वे सभी केंद्र बंद कर देंगे। जिले में कुल 54 शिवभोजन केंद्र शुरू हैं, जहां रोजाना करीब 5,800 थालियां वितरित की जाती हैं। पांच साल पूरे होने के बाद महंगाई ने संचालकों की कमर तोड़ दी है। गैस, बिजली, दालें, तेल और सब्जियों के दाम तेजी से बढ़ गए हैं, जबकि अनुदान की राशि अब अपर्याप्त साबित हो रही है। एक ओर शासन ने ‘लाडली बहन’ योजना शुरू कर उस पर भारी खर्च किया है, जबकि दूसरी ओर शिवभोजन थाली और आनंदाचा शिधा जैसी बुनियादी योजनाओं की अनदेखी की जा रही है। गरीबों और जरूरतमंदों को थाली उपलब्ध कराने वाले केंद्र संचालकों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। स्थिति आने वाले दिनों में और गंभीर हो सकती है। गरीब और बेसहारा लोगों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने वाली शिवभोजन योजना जारी रहेगी या नहीं, यह बड़ा सवाल बन गया है। शासन की अनदेखी और बकाया अनुदान के कारण यह योजना संकट में फंसी है। संचालकों ने मांग की है कि शासन तुरंत अनुदान जारी करे और उचित निर्णय ले।