
मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच चाचा-भतीजे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई तेज होती दिख रही है। एनसीपी संस्थापक शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग में अपना जवाब दाखिल किया है। जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ गए नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। दिलचस्प बात यह है कि जी-20 बैठक की वजह से राजधानी दिल्ली के सभी दफ्तरों में छुट्टी घोषित की गई है। इसलिए चुनाव आयोग का दफ्तर भी आज बंद है। लेकिन फिर भी शरद पवार गुट की ओर से चुनाव आयोग को एक मेल के जरिए जवाब भेजा गया है। चुनाव आयोग ने एनसीपी अजित पवार गुट की याचिका पर शरद पवार खेमे से तीन हफ्ते में जवाब माँगा था। आयोग द्वारा दी गयी समय सीमा 9 सितंबर को समाप्त हो रही है। लेकिन इससे एक दिन पहले ही शरद पवार गुट ने अपना जवाब चुनाव आयोग को ई-मेल के जरिए भेज दिया। अजित पवार गुट की ओर से दावा किया गया है कि वह ही एनसीपी पार्टी हैं और अजित पवार एनसीपी के अध्यक्ष हैं। इस संबंध में अजित पवार गुट की ओर दस्तावेज भी चुनाव आयोग को सौंपे गये हैं। हालाँकि शरद पवार गुट की ओर से भेजे गए जवाब में उन सभी दावों का खंडन किया गया है।
शरद पवार गुट ने क्या कहा?
अपने जवाब में शरद पवार गुट ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के 40 एनसीपी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है। शरद पवार गुट ने मांग की है कि 9 मंत्रियों समेत 31 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई की जाए। साथ ही अजित पवार गुट के सभी दावों को शरद पवार गुट ने खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल होने पर अजित दादा ने चुनाव आयोग में याचिका दायर की गयी थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि वह एनसीपी के मुखिया हैं। याचिका में दावा किया गया है कि अजित पवार को एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नियमों के तहत एनसीपी अध्यक्ष बनाया है। इसे साबित करने के लिए अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग को कागजात भी दिए थे।
मिली जानकारी के मुताबिक, अजित पवार गुट ने याचिका में कहा है, हमारे पास जन प्रतिनिधियों का बहुमत है। इनमें से प्रत्येक प्रतिनिधि लाखों नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते है। हमारा संख्या बल अधिक है। इसलिए पार्टी हमारी ही है। अजित पवार के गुट ने मांग की थी कि पार्टी का नाम ‘एनसीपी’ और सिंबल ‘घड़ी’ उन्हें ही मिलना चाहिए। अजित पवार के गुट द्वारा पार्टी के नाम व चुनाव चिह्न पर दावा करने के बाद चुनाव आयोग ने चाचा-भतीजे के दोनों गुटों को नोटिस भेजा था। जिसके बार शरद पवार गुट ने दस्तावेज तैयार करने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा था। हालाँकि चुनाव आयोग ने तीन हफ्ते का समय दिया था।