Friday, November 21, 2025
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व्यंग्य: पति, पत्नी, प्रेमी और पंचायत

मुकेश”कबीर”
आपने पति, पत्नी और वो के तो अनेक किस्से सुने होंगे लेकिन हाल फिलहाल यूपी की रामपुर पंचायत में एक अद्भुत मामला आया है,जो पति, पत्नी, प्रेमी और पंचायत का है। एक शादीशुदा महिला ने रामपुर पंचायत से निवेदन किया है कि उसे पंद्रह दिन अपने पति और पंद्रह दिन प्रेमी के साथ रहने की इज़ाज़त दी जाए। यह खबर फ़ैलते ही पूरे देश में सोशल मीडिया पर वैसी ही रौनक आयी हुई है जैसे काने लड़के की शादी फिक्स होने से उसकी मूंछो पर रौनक आती है। हर कोई मजे ले रहा है लेकिन पंचायत उलझन में है कि इसका क्या फैसला दे? पंचायत का टेंशन में होना लाज़िमी है, चारों युग में ऐसा केस आज तक किसी दरबार या अदालत में नहीं आया जैसा रामपुर पंचायत को झेलना पड़ रहा है, भगवान सरपंच साब का भला करें। हम तो सरपंच को यही सुझाव देना चाहेंगे कि आपको सूझ नहीं पड़ रही हो तो अपने अमेरिका वाले भूरा भाई की मदद ले लें। समझौता कराने में उनका वर्ल्ड रेकॉर्ड है, वो बड़े बड़े देशों में समझौता करा देते हैं। हालांकि उनके खुद की कोर्ट उनके खिलाफ़ फैसला दे रही है, यह बात अलग है। पर दूसरों के मामले में टांग तो वो अड़ा ही सकते हैं। खैर पंचायत का फैसला हम नहीं जानते लेकिन हमारा माथा तो यह सोचकर ठनक रहा है कि यदि उस नारी तू नारायणी की बात मान ली जाए तो क्या होगा? सबसे बड़ा सवाल तो यह खड़ा होगा कि जब कोई महीना इकतीस दिन का होगा तो इकतीसवें दिन महिला किस के पास रहेगी? इस सवाल पर हमारे बेधड़क भोपाली जी बोले कि भाई बहुत आसान है इकतीसवें दिन, दिन में महिला पति के पास रहेगी और रात को प्रेमी के पास। यह सुनकर हमें बेधड़क भोपाली पर पहली बार फ़ख्र हुआ कि कोई तो है जो देश में सही इन्साफ की बात कर रहा है वरना इस बात का फैसला पंचायत से कराया जाता तो इकतीसवें दिन सरपंच साब खुद कष्ट उठाने के लिए राज़ी हो जाते। आखिर जनसेवा की शपथ लेकर बैठे हैं लेकिन बात यह है कि फ़िर दरोगा जी, सरपंच साब और पंचों में जंग छिड़ जाती। पंच को आपत्ति इस बात पर होती कि महिला हमारे वार्ड की है तो सेवा का मौका हमें मिलना चाहिए। जब सरपंच साब जनहित में कुछ त्याग करने की सोचते उससे पहले ही दूसरे पंच खड़े होकर कहते कि महिला का पति हमारे वार्ड का है इसलिए हमें भी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता आखिर हमारे वार्ड की सेवा तो हम ही करेंगे। सरपंच कुछ बोलते उसके पहले ही तीसरे पंच खड़े होकर कहते कि प्रेमी तो हमारे वार्ड का है इसलिए यह मौका हमें मिलना चाहिए, बात आखिर थाने में जाती तो दरोगा जी अड़ जाते कि जनसेवा में हम कब पीछे रहते हैं? हमारा तो काम ही है देशभक्ति और जनसेवा, कुल मिलाकर रायता फैल जाता जो जनहित में तो बिल्कुल भी नहीं होता शायद इसीलिये पति ने ही समझदारी दिखाते हुए कहा कि हे भवानी मुझे माफ़ करो और हमेशा प्रेमी के साथ ही रहो। भाई पतिदेव तुमने तो एक झटके में ही सबकी झंझट ख़तम कर दी, आज फ़िर मोगेम्बो खुश हुआ। हे पति परमेश्वर आपके इस महात्याग को इतिहास उसी तरह याद रखेगा जैसे बहुमत साबित ना होने पर कुर्सी छोड़ने वाले नेता जी के त्याग को उनके चमचे याद रखते हैं और दूसरों को भी याद रखवाते हैं। हम तो तुम्हारे त्याग को उसी तरह याद रखेंगे जैसे नेताजी के त्याग को याद रखवाया जाता है, आखिर बात लगभग सेम सेम जैसी ही है। नेताजी बहुमत हासिल नहीं कर पाए इसलिए कुर्सी का त्याग कर देते हैं और तुम बहू हासिल नहीं कर पाए इसलिए बहू का त्याग कर दिया। लेकिन त्याग तो आखिर त्याग है उसकी वजह की बात क्या करना? वैसे भी वजह की चर्चा तो मूर्ख लोग करते हैं, अनेजुकेटेड पर्सन्स कहीं के! जो समझदार होते हैं वो तो सिर्फ परिणाम देखते हैं। क्या कहा? कौन बीच में बोला कि भगवद्गीता तो परिणाम को नहीं मानती सिर्फ कर्म को महत्व देती है, कौन है ये बुद्धिहीन आदमी जो कुरुक्षेत्र की बातें रामपुर में कर रहा है? तू रामपुर का इतिहास नहीं जानता क्या? बेटा रामपुर वो जगह है जहां के विधायक की भैंस खो गई तो पूरी यूपी पुलिस को लगा दिया था भैंस ढूंढने में। तब पहली बार इंसानों को समझ आया था कि हमसे ज़्यादा अहमियत भैंस की है और पहली बार ही पुलिस को समझ आया था कि उनका काम सिर्फ जनसेवा ही नहीं जानवर सेवा भी है। आज उसी रामपुर पर यह धर्म संकट आया तो तुम बात करने लगे ज्ञान की? अरे जाओ अपने अपने घर, दूसरों के घर का रायता फ़ैलते देखकर सब आ गए पंचायत में, पहले अपने घर में तो देख लो वहां तो कोई फिफ्टी फिफ्टी नहीं चल रहा? कलजुग है भाई फिफ्टी फिफ्टी न भी हो तो ट्वेंटी ट्वेंटी तो हो ही सकता है। अब टेस्ट मैच का ज़माना तो रहा नहीं इसलिए हर जगह टिकाऊ पारी मत ढूंढा करो। यदि टिकाऊ मिल जाए तो घर में टिकना,नहीं तो बाद में आना पंचायत में। अभी पंचायत को और भी जरुरी काम निपटाने है जिसमे सबसे पहले तो यह पता लगाना है कि प्रेमी सिर्फ एक ही है या और भी हैं, ताकि हमें यह कन्फर्म हो सके कि महीने के कितने टुकड़े करना है, इट्स वेरी अर्जेन्ट….

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