Saturday, September 6, 2025
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व्यंग्य: राजनीति की गाली = गली की गाली

पंकज शर्मा ‘तरुण’
हमारे मुहल्ले की हर गली में सार्वजनिक नल पर पानी भरने के लिए प्रतिदिन पहले पानी भरने की होड़ मचती है। महिलाएं ही अक्सर नल पर पानी भरने जाती हैं,क्योंकि वे बचपन से ही इस कार्य में कुशल हो जाती हैं! वैसे जहां पानी की किल्लत होती है उन क्षेत्रों में यह समस्या अधिक विकराल होती हैं। कई बार कुछ क्षेत्रों में नलों में पानी का समय सुबह जल्दी यानी कि पांच छह बजे का भी होता है तो कई तेज तर्रार महिलाएं रात में ही अपनी बाल्टी,गगरी, घड़ा आदि सबसे आगे लगा देती हैं। उसके पीछे आने वाली महिलाएं कतार बद्ध अपने बर्तन लगा कर रख देती हैं। नल आते ही सारी महिलाएं आ कर अपने नंबर पर खड़ी हो जाती हैं और बारी बारी से पानी भरती हैं। कई शातिर महिलाएं रात में बर्तनों में फेर बदल कर देती हैं। तब टकराहट होना स्वाभाविक हो जाता है। कई बार दो पार्टियों में झगड़ा करवाने के उद्देश्य से भी तीसरी पार्टी ऐसी हरकत कर देती हैं। हमारे यहां राजनीति में भी कई दल ऐसी हरकतें करते रहते हैं। हाल ही में बिहार में कांग्रेस के मंच से किसी ने मोदी जी को और उनकी मां को गालियां निकाली। जिससे देश में विशेष कर बिहार में काफी विवाद बढ़ गया है। पटना में कांग्रेस भाजपा के कार्यकर्ताओं में अच्छी खासी भिड़ंत हो गई। कई नेताओं के सिर फोड़ दिए गए। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जम के चल रहा है। वही स्थिति हो गई है जैसे मुहल्ले की महिलाएं गली के सार्वजनिक नलों पर एक दूसरे के बर्तन फेंक कर साड़ी का पल्लू कमर में खोंस कर एक दूसरे को पहले जम कर गालियां देती हैं, इसके बाद हाथापाई, बाल नोचना, कपड़े खींचना, जमीन पर पटक कर पीटना जैसी नौबत आती है वही स्थिति बिहार में चुनाव के पूर्व हो रही है! कोई मोदी जी को महान बता कर बात ठंडी कर रहा है तो कोई उनकी माता जी को महान बता कर उनको गाली देने वाले को कोस रहा है! कुछ कांग्रेस के नेता तो उसको भाजपा का ही कार्यकर्ता बता रहे हैं और सबूत के तौर पर उसके काबिना मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ फोटो तक बता कर खुद को सही सिद्ध करने पर आमादा है। सर फ़ुटव्वल की शुरुआत भी दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा कर कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यालय पर भाजपा के विधायक और मंत्री भी भीड़ ले कर हमला करने पहुंच गए और जम कर लाठी डंडों से लोगों के सिर फोड़ते रहे। बिहार की पुलिस तो अपने सुशासन का नमूना सुशासन बाबू के निर्देशों का पालन कर वफादारी से प्रस्तुत करती रही । पूरा मंजर वैसा ही लगा रहा था जैसा सार्वजनिक नलों पर प्रायः दिखाई पड़ता है। लोकतंत्र के इस अनोखे रूप को देख कर देश की जनता स्तब्ध है। भारत का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने एंकर्स की परफॉर्मेंस से खुश है, अंजना माई हो या चित्रलेखा सभी अपने चैनल की पूरी वफादारी निभा रही है!होना भी चाहिए चैनल बंद करवाना है क्या? कुल मिला कर तस्वीर!!साफ है। अब एक दूसरे को चोर बताने वाले नेता यह नहीं समझ रहे कि जनता क्या निर्णय लेगी क्योंकि सभी एक दूसरे को चोर साबित करने पर तुले हुए हैं। कुल मिलाकर आज राजनीति की हालत गली के नल पर लगे जमघट के समान हो गयी है, जहां सारी नैतिकता को ताक पर रखकर जमकर सिर फुटौव्वल मचा हुआ है।

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