
पुणे। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुती सरकार की अंदरूनी खींचतान एक बार फिर सतह पर आ गई है। एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले वित्त विभाग पर “अनुचित प्रभाव” डालने का गंभीर आरोप लगाया है। रोहित पवार ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने ‘मुख्यमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार’ पद की स्थापना कर के वित्त विभाग की स्वायत्तता में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा कि अब से वित्त विभाग के नीतिगत और प्रशासनिक निर्णय इस सलाहकार के माध्यम से नियंत्रित किए जा रहे हैं, जिससे उपमुख्यमंत्री का विभाग कमजोर हो रहा है। रोहित पवार ने यह भी आरोप लगाया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने गठबंधन सहयोगियों के मंत्रालयों में घुसपैठ की है। पहले एकनाथ शिंदे के विभाग प्रभावित हुए और अब अजित पवार की बारी है। अपने तीखे बयान में उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री हमेशा से अधिनायकवादी शैली में शासन करते आए हैं। वे हर मंत्रालय को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं। लोकतंत्र में सत्ता का विकेंद्रीकरण ज्यादा प्रभावी होता है, और अगर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के हित में काम करना चाहते हैं, तो उन्हें अपने तरीके बदलने होंगे। भाजपा पर हमला तेज करते हुए उन्होंने कहा कि “बीजेपी के लिए ‘सहयोगी’ सिर्फ अस्थायी सुविधा होते हैं। जैसे ही जरूरत खत्म होती है, उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। दुर्भाग्य यह है कि जब तक सहयोगियों का इस्तेमाल हो रहा होता है, तब तक उन्हें इसका एहसास नहीं होता। इस बयान से सत्तारूढ़ गठबंधन, जिसमें बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं में चल रही अंदरूनी असहमति एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है, भले ही सार्वजनिक रूप से नेता एकजुटता का दावा करते रहें।