मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को बड़ी राहत दी है। साथ ही कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उन्हें 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए अगले आदेश तक सरेंडर करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने मामले में उनकी जमानत याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है।साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट के 19 मार्च के फैसले के खिलाफ शर्मा की अपील स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को बड़ी राहत दी है। साथ ही कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उन्हें 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए अगले आदेश तक सरेंडर करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने मामले में उनकी जमानत याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट के 19 मार्च के फैसले के खिलाफ शर्मा की अपील स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर रही है। शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और वकील सुभाष जाधव ने कहा कि घटना लगभग 20 साल पहले हुई थी और उनका मुवक्किल अपराध स्थल पर नहीं था। साथ ही उन्होंने कहा कि केवल उनकी रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया गया है। हाई कोर्ट ने मामले में 13 दूसरे आरोपियों, 12 पूर्व पुलिसकर्मियों और एक अन्य व्यक्ति की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने सबूतों की कमी के वजह से शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय द्वारा पारित 2013 के फैसले को रद्द कर दिया था। ग्यारह नवंबर 2006 को, पुलिस के एक दल ने नई मुंबई के वाशी इलाके से रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया और उनके दोस्त अनिल भेड़ा को हिरासत में लिया था और उसी शाम रामनारायण गुप्ता को पश्चिमी मुंबई के वर्सोवा के पास एक फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया था।