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मुंबई। मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए एक राहत भरी खबर आई है। मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों को ठाणे और पालघर जिलों में पारंपरिक मछली पकड़ने की गतिविधियों में लगे मछुआरों को जारी किए गए नोटिस तुरंत वापस लेने का आदेश दिया है। यह फैसला तब लिया गया जब सोमवार को अखिल भारतीय मछलीमार कृति समिति (एबीएमकेएस) के अध्यक्ष देवेंद्र टंडेल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से मुलाकात की और पारंपरिक मछुआरों को भेजे गए अनुचित नोटिसों का मुद्दा उठाया। राज्य मत्स्य विभाग ने अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियों की निगरानी और समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए 9 जनवरी को ठाणे जिले के उत्तन सहित सात जिलों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) संचालित ड्रोन लॉन्च किए थे। हालांकि, इन ड्रोन की वजह से मछुआरों को गिलनेट और स्लाइडर बूम का उपयोग करने को लेकर नोटिस जारी किए गए, जिससे उनमें चिंता बढ़ गई। मछुआरों ने तर्क दिया कि हाइड्रोलिक चरखी (बूम) द्वारा समर्थित पर्स सीन जाल का उपयोग मछली स्टॉक को संरक्षित करने के लिए निषिद्ध है, लेकिन पारंपरिक तरीकों जैसे गिलनेट और सामान्य बूम के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं था। इसके बावजूद, ड्रोन द्वारा कैप्चर किए गए डेटा के आधार पर नोटिस जारी कर दिए गए। इस मुद्दे को मंत्री के ध्यान में लाया गया, जिस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। एबीएमकेएस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व पार्षद बर्नार्ड डी’मेलो ने बताया कि गिलनेट मछली पकड़ने की सबसे पुरानी पारंपरिक विधियों में से एक है, जिसमें जाल की दीवार का उपयोग करके मछलियों को पकड़ा जाता है। वहीं, स्लाइडर बूम भारी वजन को एक लाइन के साथ स्लाइड करने में मदद करता है। मंत्री ने मछुआरों को आश्वस्त किया कि उनकी मछली पकड़ने वाली नावों के लाइसेंस के नवीनीकरण में कोई बाधा नहीं आएगी और न ही उनकी डीजल सब्सिडी रोकी जाएगी।