Monday, July 21, 2025
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महाराष्ट्र में 16 बी.एड.कॉलेजों की मान्यता रद्द, अवैध साहूकारों पर कसेगा शिकंजा

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को शिक्षा और सहकारिता से जुड़े दो प्रमुख मुद्दों पर सरकार की ओर से अहम घोषणाएं की गईं। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने नियामक शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य के 16 बी.एड. कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। वहीं, सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने बताया कि बिना लाइसेंस वाले साहूकारों द्वारा किसानों की ज़मीन हड़पने के मामलों की अब ज़िला कलेक्टर स्तर पर जाँच की जाएगी। मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि जिन 16 कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है, उनमें से 9 पहले ही बंद हो चुके हैं और उनमें छात्रों को कोई प्रवेश नहीं दिया गया है, जबकि शेष 7 कॉलेजों की संयुक्त प्रवेश क्षमता 500 सीटें है। इन सात कॉलेजों को NCTE द्वारा समय पर मूल्यांकन रिपोर्ट जमा न करने के कारण मान्यता से वंचित किया गया है। हालांकि, उन्हें 22 जुलाई 2025 तक अपील करने का अवसर प्राप्त है। यदि अपील उनके पक्ष में जाती है, तो वे पुनः केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत राज्य में चार वर्षीय एकीकृत बी.एड. पाठ्यक्रम लागू किया जा चुका है। यह जानकारी उन्होंने शिवसेना सांसद अमोल खटल द्वारा पूछे गए प्रश्न और भाजपा विधायक अतुल भातखलकर द्वारा उठाए गए पूरक प्रश्न के उत्तर में दी। वहीं दूसरी ओर, सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने बताया कि राज्य सरकार अवैध साहूकारों द्वारा किसानों की ज़मीन हड़पने के मामलों को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने कहा, अब तक ऐसे मामलों में 771 हेक्टेयर ज़मीन किसानों को वापस लौटाई जा चुकी है। बिना लाइसेंस वाले साहूकारों का कार्य पूरी तरह गैरकानूनी है। केवल लाइसेंसधारी साहूकारों को ही निर्धारित ब्याज दरों के साथ ऋण देने की अनुमति है। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी साहूकार अपने कार्यालयों के बाहर वार्षिक ब्याज दर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें और उधारी का लेखा-पत्र पारदर्शी रखें। साथ ही, यदि किसी शिकायतकर्ता के पास विशिष्ट साहूकार और पीड़ित उधारकर्ता की जानकारी हो, तो उसकी जाँच जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इन दोनों मामलों में सरकार की यह कार्रवाई शिक्षा और कृषि क्षेत्रों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।

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