मुंबई। महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के 2,000 से अधिक विद्यालयों के 2 लाख छात्रों ने रामायण और महाभारत पर आधारित लिखित परीक्षा में एक ही दिन और समय पर भाग लिया। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए 3,000 स्वयंसेवकों ने निस्वार्थ सेवा दी। मुंबई कोंकण प्रांत के 1,107 विद्यालय, पश्चिम महाराष्ट्र के 157 विद्यालय, विदर्भ के 377 विद्यालय और देवगिरी उत्तर महाराष्ट्र के 423 विद्यालय इस पहल का हिस्सा बने। इस परीक्षा का उद्देश्य छात्रों को रामायण, महाभारत और संतों की जीवनियों से परिचित कराना और भारतीय संस्कृति व जीवन मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। यह संस्कार यज्ञ पिछले 21 वर्षों से मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषाओं में आयोजित किया जा रहा है। सहभागी विद्यालय हर सप्ताह एक दिन छात्रों को इन कथाओं की प्रस्तुतियां बड़ी स्क्रीन पर दिखाते हैं। वर्ष के अंत में आयोजित परीक्षा के आधार पर प्रत्येक कक्षा के टॉप छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया जाता है। विशेष बात यह है कि इन परीक्षाओं में इस्लाम और ख्रिश्चन धर्म के छात्र भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं और कई बार स्वर्ण पदक जीतने में सफल होते हैं। महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह उपक्रम अब देश के 21 राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। इस पहल की जानकारी प्रतिष्ठान के संस्थापक ट्रस्टी मोहन सालेकर ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दी।