
मुंबई। भारत के रेलवे परिचालन संरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को जुईनगर यार्ड का निरीक्षण किया, जहाँ उन्नत सेंसर-सक्षम प्रणालियों के ट्रायल का मूल्यांकन किया जा रहा है।
पॉइंट पोजिशन डिटेक्शन सिस्टम की समीक्षा
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने सेंसर-सक्षम पॉइंट पोजिशन डिटेक्शन सिस्टम का अवलोकन किया, जो स्टॉक रेल के संबंध में टंग रेल की स्थिति की सटीक निगरानी करता है। यह प्रणाली इंडक्टिव प्रॉक्सिमिटी सेंसर की मदद से बिंदुओं की भौतिक स्थिति को इंटरलॉकिंग सिस्टम के डेटा से मिलान करती है। अगर कोई असमानता पाई जाती है, तो यह प्रणाली तत्काल चेतावनी (अलार्म) जारी करती है।
सिग्नल एस्पेक्ट फीडबैक सिस्टम का परीक्षण
एक अन्य प्रमुख नवाचार सिग्नल एस्पेक्ट फीडबैक सिस्टम है, जिसमें RGB सेंसर द्वारा सिग्नल की वास्तविक प्रकाशित अवस्था का परीक्षण किया जाता है। यह प्रणाली सिग्नल के प्रदर्शित पहलू और इंटरलॉकिंग निर्देश के बीच मेल न होने पर भी तुरंत अलार्म उत्पन्न करती है। जुईनगर यार्ड में सभी पॉइंट्स और सिग्नल्स पर इन दोनों प्रणालियों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य परिचालन में मानवीय त्रुटियों की संभावना को न्यूनतम करना और संरक्षा मानकों को सुदृढ़ बनाना है।
RDSO और रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी रिपोर्ट
इन परीक्षणों के आधार पर तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट को आगे के मूल्यांकन और अनुमोदन हेतु RDSO (Research Designs & Standards Organisation) और रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत किया जाएगा। इससे इन प्रणालियों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
रेल मंत्रालय द्वारा उठाया गया यह कदम रेलवे संरक्षा के लिए “प्रिवेंटिव टेक्नोलॉजी” की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है। यह भारतीय रेलवे को ‘सेफ्टी बाय डिज़ाइन’ की ओर ले जाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है।