
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन को लेकर तीखा हमला किया। उन्होंने राहुल गांधी को अराजक करार देते हुए सवाल उठाया कि क्या राहुल गांधी नेशनल कांफ्रेंस के हर कदम का समर्थन करते हैं। लेकिन, शाह जी शायद भूल गए कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला और उनके उत्तराधिकारी फारुख अब्दुल्ला ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही नहीं, शेख अब्दुल्ला वाजपेयी सरकार में विदेश राज्य मंत्री भी रहे थे। बीजेपी, जिसने महबूबा मुफ्ती के साथ तीन साल तक जम्मू-कश्मीर में सत्ता साझा की, अब राहुल गांधी पर सवाल उठा रही है। यह वही महबूबा मुफ्ती हैं, जिन्हें अक्सर अलगाववादियों के समर्थन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सत्ता की भूख में बीजेपी ने भी उन लोगों के साथ गठबंधन किया, जिन्हें वह अराजक कहती है। शाह जी, आपकी पार्टी जिस नायडू के सहारे केंद्र की सत्ता में बैठी है, वही नायडू मुसलमानों को आरक्षण देते हैं और हज यात्रा के लिए एक लाख रुपये प्रति व्यक्ति सहायता राशि का वादा भी करते हैं। बीजेपी, जो आंध्र प्रदेश सरकार में सहयोगी है, क्या वह इन फैसलों का समर्थन करती है? अगर नहीं, तो यह सवाल उठता है कि क्या आप वास्तव में राष्ट्रीय हितों के प्रति ईमानदार हैं, या केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे मुद्दों को उठाते हैं? राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी ने राष्ट्र के लिए अपनी जान दी। राहुल गांधी, जिन्हें आपकी पार्टी ने करोड़ों रुपये खर्च कर भी पप्पू साबित करने की कोशिश की, अब जननेता के रूप में उभर चुके हैं। उनकी भारत जोड़ो यात्रा, जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक और पूर्वोत्तर से पश्चिम तक चली, ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जो वास्तव में मुद्दों पर बात करते हैं और मुद्दों की राजनीति करते हैं। आपका “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” एक छलावा मात्र है। चाहे असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा हों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, या गिरिराज सिंह, जिन्होंने मुसलमानों को पाकिस्तान जाने के लिए कहा, सभी ने केवल ज़हर की राजनीति की है। शाह जी, आपने बिना आरक्षण के ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर की नियुक्ति कैसे की? उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति बिना आरक्षण के कैसे हुई, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की? क्या यही आपकी राष्ट्रभक्ति है? राहुल गांधी, जिनके दो पूर्वजों ने देश के लिए बलिदान दिया, उन्हें अराजक और देशद्रोही कहना न सिर्फ गलत है, बल्कि आपके पार्टी की निराशा को भी दर्शाता है। अगर मुसलमान देश में नहीं होते, तो शायद बीजेपी का अस्तित्व ही नहीं होता। आपने मुसलमानों से हिंदुओं को डराकर सत्ता हासिल की है, और यह सच्चाई है कि ईडी के द्वारा राहुल गांधी को गिरफ्तार कराने का प्रयास बीजेपी के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।शाह जी, राहुल गांधी की तुलना जगन रेड्डी, हेमंता बिस्वा सरमा या अरविंद केजरीवाल से करने से बचें। जिस दिन राहुल गांधी को जेल भेजने की गलती हुई, उसी दिन बीजेपी की सत्ता समाप्त हो जाएगी। राहुल गांधी अराजक नहीं, बल्कि राष्ट्र के मुद्दों की राजनीति करने वाले एक सच्चे जननेता हैं।