Wednesday, November 12, 2025
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मण्डलायुक्त बिमल कुमार दुबे की अध्यक्षता में रबी फसल विचार गोष्ठी आयोजित, नैनो उर्वरक को अपनाने पर जोर

झांसी, उत्तर प्रदेश। मण्डलायुक्त बिमल कुमार दुबे के मुख्य आतिथ्य में बरुआसागर स्थित मेहेरालय फार्म पर मंगलवार को रबी फसल विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि नवाचार, विशेषकर नैनो उर्वरकों के उपयोग को लेकर कृषकों को प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मण्डलायुक्त दुबे द्वारा नैनो उर्वरक पर आधारित शत-प्रतिशत प्रदर्शन प्रक्षेत्र के अवलोकन से हुई। उन्होंने इस नवाचार को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की और किसानों से आग्रह किया कि वे पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं किसानों से नैनो उर्वरक को अपनाने की अपील कर रहे हैं, क्योंकि इससे मृदा की गुणवत्ता सुधरती है और लागत में भारी कमी आती है। अपर जिलाधिकारी वरुण कुमार पांडे ने भी प्रदर्शन प्लॉट का भ्रमण किया और किसानों को इस तकनीक से प्रेरणा लेने की सलाह दी। इस मौके पर डा.एस.के. सिंह, निदेशक (प्रसार), रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, ने किसानों को दानेदार उर्वरकों की जगह नैनो उर्वरक के प्रयोग की सलाह दी। वहीं, डा. बी.पी. सिंह, उपनिदेशक राजकीय उद्यान बरुआसागर, ने किसानों को बागवानी के प्रति प्रेरित किया।
इफको लखनऊ के राज्य विपणन प्रबंधक यतेन्द्र कुमार तेवतिया ने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से इफको द्वारा नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, नैनो जिंक और नैनो कॉपर जैसे उत्पाद विकसित किए गए हैं, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए किसानों की आय में वृद्धि करेंगे। डा. प्रहलाद सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक, इफको, ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के प्रयोग की विधि विस्तार से बताई। इस अवसर पर झांसी जनपद के 400 से अधिक कृषकों, विभिन्न सहकारी समितियों के सचिवों, विकास अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया। किसानों ने प्रदर्शन प्रक्षेत्र का भ्रमण कर नैनो तकनीक से तैयार की गई फसलों को देखा। प्रगतिशील किसान आचार्य श्री मेहेर प्रसाद यादव ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने खेत में दानेदार डीएपी को पूरी तरह नैनो डीएपी से प्रतिस्थापित किया है और यूरिया के प्रयोग में 75 प्रतिशत की कटौती की है। इससे न केवल लागत में 16,000 से 20,000 रुपए की बचत हुई, बल्कि तेज हवाओं और बारिश के बावजूद उनकी धान की फसल 99 प्रतिशत सुरक्षित रही, जबकि अन्य खेतों की लगभग 90 प्रतिशत फसलें क्षतिग्रस्त हो गईं। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन इफको झांसी के उप क्षेत्र प्रबंधक के.पी.सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. विपिन बिहारी द्विवेदी (उपनिदेशक कृषि रक्षा), अर्जेन्द सिंह (क्षेत्रीय सहायक आयुक्त), कृष्ण कुमार (सहायक आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता), डा. निर्वेश सिंह (पौध रोग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय उद्यान बरुआसागर) सहित अनेक कृषि अधिकारी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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