पुणे। पुणे की एक अदालत ने ‘पोर्श’ कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग के पिता और दादा को उनके चालक के कथित अपहरण एवं बंधक बनाने में भूमिका को लेकर शुक्रवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल और उनके पिता को पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ए.ए. पांडे की अदालत में पेश किया गया। पुलिस के अनुसार, 19 मई को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में कार में नाबालिग के साथ चालक भी था, जब इस वाहन ने एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी, जिसमें दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मौत हो गई। अग्रवाल और उनके पिता, दोनों ने चालक को दुर्घटना की जिम्मेदारी लेने की कथित धमकी दी। उन दोनों ने कथित तौर पर चालक का अपहरण कर लिया और अपने घर में बंधक बना कर रखा। चालक की पत्नी ने वडगांव शेरी इलाका स्थित आरोपी के बंगला के घरेलू सहायक कक्ष से उसे मुक्त कराया। अभियोजन ने पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि अपराध को अंजाम देने में इस्तेमाल किये गए मोबाइल फोन और कार को जब्त करने के साथ मामले में प्रगति हुई है। इसने कहा कि चूंकि आरोपी मामले में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें और अधिक समय हिरासत में रखने की जरूरत है।अभियोजन के इस अनुरोध का बचाव पक्ष के वकील ने विरोध किया और दलील दी कि उसे (अभियोजन को) अपना मामला साबित करने के लिए पहले ही पर्याप्त समय मिल चुका है। बचाव पक्ष ने दलील दी कि चूंकि उन्होंने कार जब्त कर ली है, ऐसे में उन्हें और पुलिस हिरासत में रखने की अब जरूरत नहीं है। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। नाबालिग को पांच जून तक के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया। वहीं, पुलिस के यह कहने के बाद मामले का एक नया पहलू सामने आया कि उसके रक्त के नमूने ससून अस्पताल में बदल दिये गए थे, ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि दुर्घटना के वक्त वह शराब के नशे में नहीं था। पुलिस ने नाबालिग के रक्त के नमूने कथित तौर पर बदलने को लेकर ससून अस्पताल में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के तत्कालीन प्रमुख डॉ अजय तावड़े, चिकित्सा अधिकारी डॉ श्रीहरि हलनोर और कर्मचारी अतुल घटकाम्बले को गिरफ्तार किया था।