
मुंबई। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित ‘सहकार से समृद्धि’ राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहकारिता क्षेत्र के नवाचारों और भविष्य की योजनाओं को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं। यह संगोष्ठी अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में नाफेड द्वारा आयोजित की गई थी। अपने संबोधन में शाह ने कहा कि सहकारिता केवल एक आर्थिक प्रणाली नहीं, बल्कि भारत के पारंपरिक जीवन दर्शन की आत्मा है। “साथ आना, साथ सोचना, साथ काम करना, और सुख-दुख में साथ देना – यही भारत की सहकारिता की आत्मा है। शाह ने बताया कि पिछले सवा सौ वर्षों में सहकारिता आंदोलन ने देश के गरीब, किसानों और महिलाओं के जीवन में सहारा बनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को समृद्ध बनाने और एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की, जिसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी, पर किसी सरकार ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि अक्सर कहा जाता था कि सहकारिता राज्य का विषय है, केंद्र इसमें क्या करेगा? लेकिन अब केंद्र सरकार ने गांव-गांव में सहकारी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं। अमित शाह ने ऐलान किया कि सहकारी मॉडल के आधार पर ‘भारत सहकारी टैक्सी’ नामक एक नई पहल शुरू की जा रही है, जिसमें टैक्सी चालक केवल सेवा देने वाले नहीं बल्कि उस टैक्सी के मालिक भी होंगे, और इस योजना का लाभ सीधे उनके बैंक खातों में जाएगा। शाह ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय देशभर में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) स्थापित कर रहा है, जिन्हें 22 नई गतिविधियों से जोड़ा जाएगा, जैसे जन औषधि केंद्र, एलपीजी वितरण, पेट्रोल पंप, रेलवे टिकट, और टैक्सी सेवा। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के पास अब गांवों तक की सहकारी संस्थाओं का डेटा उपलब्ध है, और सरकार गांव-गांव में मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटियां बना रही है। कार्यक्रम में उन्होंने ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ के निर्माण की घोषणा की, जिसकी आधारशिला अगस्त की शुरुआत में रखी जाएगी। शाह ने बताया कि इस विश्वविद्यालय के लिए भारत सरकार ने विधेयक पारित कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सहकारिता क्षेत्र में तकनीकी सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें आयकर कानून में सुधार शामिल है ताकि कोऑपरेटिव और कॉर्पोरेट को समान स्तर पर लाया जा सके। महाराष्ट्र में गन्ना मिलों पर चल रहे करीब 15 हजार करोड़ के टैक्स विवाद का भी निपटारा किया गया है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र को 120 वर्षों की सहकारी परंपरा का लाभ है, और राज्य ने सहकारी क्षेत्र में देश का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि PACS, FPOs और अन्य माध्यमों से राज्य सरकार किसानों और ग्रामीण जनता के लिए नए अवसर निर्माण कर रही है। मुख्यमंत्री ने नाफेड के कार्यों की सराहना करते हुए यह भी सुझाव दिया कि किसानों को खरीदी के समय बोरियों की कमी से जूझना न पड़े, इसके लिए पूर्व योजना बनाई जाए। इस कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ, राज्य सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील, राज्य कृषि मंत्री अॅड. माणिकराव कोकाटे, रोजगार मंत्री मंगलप्रभात लोढा, आईटी मंत्री आशिष शेलार, सांसद हेमा मालिनी, नाफेड अध्यक्ष जेठाभाई अहिर, महाप्रबंधक अमित गोयल, प्रबंध संचालक दीपक अग्रवाल, सचिव गंगेले और देशभर के सहकारी क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान नाफेड द्वारा निर्मित एक शॉर्ट फिल्म “सहकार आंदोलन का महत्व” प्रदर्शित की गई। साथ ही 5 PACS को ‘नाफेड बाजार’ फ्रेंचाइजी का प्रमाणपत्र और 5 FPOs को इक्विटी अनुदान के चेक भी वितरित किए गए। अमित शाह ने यह भी जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया है, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर सहकारिता के क्षेत्र में नेतृत्व का अवसर मिलेगा। इस संगोष्ठी के माध्यम से भारत में सहकारिता के नवयुग की नींव रखी गई, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त करना और सहकारिता को रोजगार, स्वावलंबन व समृद्धि का माध्यम बनाना है।