
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को गैर-निर्धारित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से रोकना भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत न तो ‘गलत रोक’ माना जा सकता है और न ही ‘जानबूझकर बाधा’। कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी पुणे के एक 42 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए की। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस संदेश पाटिल की खंडपीठ ने 18 दिसंबर को दिए अपने फैसले में कहा कि फुटपाथ, रिहायशी सोसायटी के एंट्री-एग्जिट गेट और स्कूल बस स्टॉप जैसे स्थान- जहां बच्चे चढ़ते-उतरते हैं पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से रोकना कानूनन गलत नहीं है। यह मामला पुणे की हिंजेवाड़ी पुलिस द्वारा जनवरी में दर्ज एफआईआर से जुड़ा था, जिसमें एक महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह अपने दोस्तों के साथ एक रिहायशी सोसायटी में आवारा कुत्तों को खाना खिला रही थी, तब आरोपी और अन्य सोसायटी सदस्यों ने आपत्ति जताई और कथित तौर पर उसकी कार के सामने खड़े होकर उसे वहां से जाने से रोका। महिला का दावा था कि उसे अवैध रूप से रोका गया, जो ‘गलत रोक’ की श्रेणी में आता है। हालांकि, हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी ने केवल यह बताया था कि जिन स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाया जा रहा था, वे निर्धारित फीडिंग स्पॉट नहीं थे। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आरोपी की यह कार्रवाई भारतीय न्याय संहिता के तहत गलत रोक नहीं मानी जा सकती। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों और एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) नियमों का हवाला देते हुए कहा कि इन नियमों के तहत स्थानीय निकायों द्वारा आवारा कुत्तों के लिए निर्धारित खाना खिलाने की जगहें तय की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि आरोपी की मंशा कोई गैर-कानूनी काम करने की नहीं, बल्कि सोसायटी में रहने वाले लोगों, खासकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की थी। फैसले में कहा गया कि सोसायटी में पहले भी कुत्तों के काटने और हमले की घटनाएं हो चुकी थीं। ऐसे में स्कूल बस स्टॉप और मुख्य गेट जैसे संवेदनशील इलाकों में कुत्तों को खाना खिलाने से रोकना गैर-कानूनी नहीं कहा जा सकता। आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि सोसायटी परिसर में 40 से अधिक आवारा कुत्ते हैं, जिससे निवासियों को गंभीर परेशानी हो रही है और बीते एक साल में कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं। उसने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा कुत्तों को खाना खिलाने का तरीका और स्थान सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा था। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया और साफ किया कि गैर-निर्धारित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से रोकना कानून के दायरे में गलत रोक या बाधा नहीं माना जा सकता।




