
नई दिल्ली। शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75 चयनित पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023 प्रदान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों और छात्रों को चरक, सुश्रुत और आर्यभट्ट से लेकर चंद्रयान-3 तक की उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारे शिक्षक और छात्र मिलकर कर्तव्य काल में भारत को एक विकसित देश बनने की दिशा में तेजी से आगे लेकर जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मजबूत और जीवंत शिक्षा प्रणाली को विकसित करने पर जोर दिया गया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार माना गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हर बच्चे की विशिष्ट क्षमताओं को समझना और उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करना शिक्षकों का भी कर्तव्य है और अभिभावकों का भी। बच्चे की मदद करने के लिए, शिक्षकों में बच्चे के प्रति संवेदनशीलता का होना आवश्यक है। राष्ट्रपति ने कहा कि अध्यापन कार्य में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए मैं चाहूंगी कि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो। छात्राओं और अध्यापिकाओं को प्रोत्साहित करना महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत जरूरी है। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जैसे किसी मकान की मजबूती उसकी नींव के मजबूत होने पर आधारित होती है, उसी तरह जीवन को सार्थक बनाने के लिए चरित्र-बल की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि आज के दिन मुझे अपने आदरणीय शिक्षक तो याद आते ही हैं, वे बच्चे भी याद आते हैं जिन्हें मैंने ओडिशा के राय रंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में पढ़ाया था। उन बच्चों के प्यार को मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल करती हूं। आज ‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए सभी शिक्षकों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। मैं समझती हूं कि आज के दिन, विशेष रूप से, हर व्यक्ति को अपने विद्यार्थी जीवन की याद आती है और अपने शिक्षक भी याद आते हैं। मैं सभी देशवासियों की ओर से निष्ठावान शिक्षकों के प्रति आदर व्यक्त करती हूं।