पालघर। महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते 26 वर्षीय गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान गंभीर हालत में एक ग्रामीण अस्पताल में लाया गया था, जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए सिलवासा रेफर कर दिया गया। लेकिन बार-बार अनुरोध के बावजूद, ऑक्सीजन सपोर्ट से लैस एम्बुलेंस नहीं मिल सकी। मजबूरी में उसे एक सामान्य एम्बुलेंस में भेजा गया, लेकिन रास्ते में महिला और उसके भ्रूण दोनों की मौत हो गई। सिविल सर्जन डॉ. रामदास मराड ने बताया कि महिला को अस्पताल लाने के समय गंभीर संक्रमण था और वह अर्ध-चेतन अवस्था में थी। महिला अंतर्गर्भाशयी भ्रूण मृत्यु से भी पीड़ित थी। महिला के परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर ऑक्सीजन सपोर्ट वाली एम्बुलेंस उपलब्ध होती, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। वहीं इस घटना पर पालघर सांसद डॉ. हेमंत सवारा ने गहरा शोक व्यक्त किया और स्वास्थ्य विभाग से ऑक्सीजन और मेडिकल सपोर्ट से लैस एम्बुलेंस की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। उन्होंने मरीजों के साथ डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य करने की बात कही। सीपीआई (एम) नेता विनोद निकोले ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति को लेकर सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की अनदेखी का उदाहरण बताया। सिविल सर्जन ने बताया कि विशेष एम्बुलेंस की कमी की समस्या पहले ही विभाग के समक्ष रखी गई है, लेकिन समाधान नहीं हो सका।
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति पर सवाल
पालघर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी लंबे समय से चिंता का विषय है। उन्नत एम्बुलेंस, प्रशिक्षित पैरामेडिक्स और डॉक्टरों की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं को दूर करने की जरूरत है।