
मुंबई। पवई इलाके में 17 बच्चों को बंधक बनाने के मामले में सामने आये आरोपी रोहित आर्या ने दावा किया है कि उसे शिक्षा विभाग से स्वच्छता अभियान से जुड़े काम के बदले 2 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। आर्या ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के बंगले के सामने तथा आजाद मैदान में भी विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल की थी। पूर्व शिक्षा मंत्री और शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है। केसरकर ने कहा कि आर्या ‘स्वच्छ मॉनिटर’ नामक योजना चला रहे थे और उन्होंने सरकारी अभियान ‘मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल’ में भाग लिया था। विभाग की जांच के अनुसार आर्या ने कुछ बच्चों से सीधे फीस वसूली का आरोप है, जबकि आर्या ने यह दावा किया कि उन्होंने कोई फीस नहीं ली। केसरकर ने कहा कि विभाग से समुचित दस्तावेज पेश कर विवाद सुलझाया जा सकता था, और बच्चों को बंधक बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। केसरकर ने यह भी स्पष्ट किया कि जब वे शिक्षा मंत्री थे तब उन्होंने व्यक्तिगत सहानुभूति के आधार पर आर्या की सहायता के लिए चेक दिया था, पर सरकारी भुगतान के लिए आवश्यक औपचारिकताएं और दस्तावेज़ पूरे होना अनिवार्य होते हैं। उनके शब्दों में, “मुझे नहीं लगता कि 2 करोड़ रुपए का दावा सही है। सरकारी भुगतान के लिए दस्तावेज और बिल जरूरी होते हैं।” केसरकर ने यह भी कहा कि आर्या को मानसिक रूप से अस्वस्थ करार देना उचित नहीं होगा, और अगर नियमों का पालन किया जाता तो भुगतान से जुड़ी समस्याएँ नहीं आतीं। इससे पहले वायरल वीडियो में रोहित आर्या ने स्वयं को ‘आतंकवादी’ न बताते हुए कहा था कि उसकी माँगें ‘साधारण और नैतिक’ हैं और वह बातचीत चाहता है। वीडियो में उसने यह भी कहा था कि वह किसी तरह का धन नहीं माँग रहा और बच्चों को इसलिए बंधक बनाया कि उसकी बात सुनी जाए। पुलिस ने घटना के बाद कार्रवाई करते हुए बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया था; संदिग्ध पर आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और बाद में मुठभेड़ में उसे गोली लगने से अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस जांच, शिक्षा विभाग के दस्तावेज़ों का सत्यापन तथा आर्य द्वारा लगाए गए भुगतान दावे की पड़ताल जारी है। सुरक्षा और शैक्षणिक अधिकारों से जुड़े सवालों पर प्रशासनिक और कानूनी जांच आगे बताएगी कि भुगतान विवाद का क्या अभिलेख मौजूद हैं और घटना तक कैसे पहुंचा।




