
लेखक जितेंद्र पाण्डेय
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। राष्ट्र कवि दिनकर के ये शब्द मिथ्या नहीं हो सकते। देश की जनता ने अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ फेंकी। उन्हें उनके देश वापस लौटने को मजबूर कर दिया। उनका बुध्दिबल, उनकी कूटनीति किसी काम न आई और बोरिया बिस्तर बांधकर देश से भागना पड़ा। अंग्रेज वो शय थे कि अपने छल प्रपंच तिकड़मबाजी से देश के राजाओं को अपने साथ मिला लिया। अंग्रेजों की वास्तविक शक्ति उन्हीं राजाओं में निहित थी जिन्होंने आत्म समर्पण कर दिया। अंग्रेजों के विरुद्ध महात्मा गांधी के आंदोलनों को कुचलने के लिए उन्हें खत लिखने वाले मुस्लिम नहीं थे। गद्दार हिंदू वादी ही थे। मात्र तीन सौ की सेना लेकर मुगल बाबर ने भारत पर हमला किया था। उसे सहायता दी तो हिंदू राजाओं ने जो सदियों से जनता का लहू चूसकर अपनी अय्याशी के लिए शानदार विशालतम महल बनवाए। अपने खजाने में देश की जनता को लूटकर भर दिया था। हिंदू राजाओं की आपसी रंजिश के कारण ही सिकंदर ने भारत पर हमला किया। यह तो उसका दुर्भाग्य था कि महाराज पर्वतेश्वर ने उसे युद्ध में भयंकर रूप से हराया। बुरी तरह घायल सिकंदर वापसी में बेबीलोन में जाकर प्राण त्याग किए। उसकी सेना ने ही उसकी दोनों पत्नियों की हत्या कर दी। मुगल बाबर से खानवा युद्ध में रणसांगा के साथ मुस्लिम सुलतान ने राणा का साथ दिया परंतु बाबर की तोपों के सामने राणा सांगा पराजित हुए। परिणाम यह हुआ कि बाबर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डालने में सफल हुआ। आज भी फतेहपुर सीकरी के किले की प्राचीर पर तोप के गोलों के निशान मिल जाएंगे। यदि सभी हिंदू राजपूत राजा राणा सांगा का साथ देते तो मुगल यहां पैर जमाने में कामयाब न होते। कालांतर में भी मुगल बादशाहों के आगे अनेक राजपूत राजाओं ने घुटने टेके किंतु महाराणा प्रताप अकेले मुगलों से लोहा लेते रहे। घास की रोटी खाना मंजूर किया मगर गुलामी नहीं। छत्रपति शिवाजी और बाजी राव पेशवा ने भी भरसक मुगलों से आजीवन लोहा लेते हुए आजाद रहे। अंग्रेजों के साथ पेशवा के युद्ध में महारों ने अंग्रेजों का साथ दिया। जिसपर आज गर्व करते हैं वह सच में बेहद शर्मनाक घटना थी। आजादी के बाद नेहरू शास्त्री ने संविधान और लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन किया परंतु इंदिरा गांधी ने तानाशाही करते हुए देश पर इमरजेंसी थोप दी। प्रेस सेंसर शिप लागू किए। संवैधानिक संप्रभु जनता ने उन्हें उखाड़ फेंका। संजय गांधी सहित तानाशाह इंदिरा गांधी और कांग्रेस बुरी तरह हारी। नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता पाई। पार्ट वन थोड़ा ठीक रहा लेकिन दोबारा सत्ता में आते ही बेलगाम हो गए। अघोषित तानाशाही और विपक्ष खत्म करने। भारतीय संविधान की जगह मनुस्मृति लागू करने, लोकतंत्र विरोधी कृत्यों से जनता को त्रस्त कर दिया। एक ख्यातिप्राप्त ज्योतिषी के अनुसार मोदी ने गलत समय पर शपथ ली। भाजपा के जन्मसमय और मोदी के शपथ ग्रहण के समय के साथ भारत की कुंडली का मिलान करते हुए भविष्यवाणी की है कि भाजपा की स्थापना के समय लग्न और ग्रहों की स्थिति के अनुसार भाजपा छल कपट प्रपंच साम दाम दण्ड भेद की कूटनीति के चलते सत्ता हासिल की है। मोदी ने भी कूटनीति चलकर कई राज्यों की सरकारें गिराई है। उनकी तानाशाही से पार्टी के बाहर ही नहीं भीतर भी असंतोष फैला हुआ है। बीजेपी के साथ जुड़ने वाले दल भी राज्यों में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी का साथ छोड़ देंगे अपना अस्तित्व बचाने के लिए। तमाम मंत्री, सांसद, विधायक और यहां तक की मोदी के अंधभक्त भी अक्तूबर महीने से वृहस्पति के प्रभाव में आने के कारण मोदी का साथ छोड़ देंगे। उनकी छल कपट की नीति से चुनाव जीतने की मंशा पूरी नहीं होगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सी जे आई चंद्रचूड़ उनका मार्ग अवरूद्ध कर देंगे। कोई भी साजिश सफल नहीं होगी। वैसे भी सीजेआई लोकसभा चुनाव के काफी बाद तक कार्य करते रहेंगे और मोदी की हर चाल में पलीता लगाते रहेंगे। मोदी द्वारा इंडिया का विरोध और भारत शब्द का प्रयोग हो या सनातन धर्म पर टिप्पणी मामले को राजनीतिक बनाने को ज्योतिषी क्रूर ग्रहों के कारण मानते हैं। पांचों राज्यों में मोदी चुनाव हार जाएंगे। वृहस्पति के कारण जनता ही नहीं अंधभक्त भी ट्रांस और मोदी भक्ति से बाहर आएंगे। लोकसभा चुनाव पूर्व भगदड़ तेज होगी। अकेले रह जाएंगे मोदी। इंडिया की सरकार बनने पर विपक्ष में बैठने वाली बीजेपी के नेता जिन्होंने खुलकर भ्रष्टाचार किया। संपत्तियां बनाई हैं। कालधन स्विस बैंक में जमा किए हैं। या तो जेल जाएंगे या कोर्ट कचहरी के चक्कर काटेंगे। जो आईएएस अफसर चाहे पीएम ओ में हों या दूसरी जगह मोदी का साथ देते आए हैं इनपर भी गाज गिरेगी। कुंडली में ग्रहों के चाल बदलने के कारण मीडिया जो हिंदू मुस्लिम करते रहते हैं। मंत्री जो कहते हैं गोली मारो सालों को, उनका हश्र बहुत बुरा होगा और मीडिया के मालिकों, अंधभक्त एंकर भी सरकार की हां में हां मिलाने वाले भी जेल जाएंगे। मोदी की बीजेपी अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की नहीं है। मोदी की बीजेपी,मोदी का भारत जो 2014 में आजाद हुआ। बाकी देशवासियों का देश 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हो गया था। हां संविधान और लोकतांत्रिक मर्यादाओं से आजादी ज़रूर 2014 में लाई गई है। अटलजी की बीजेपी सबको साथ लेकर चलने की थी। मोदी की बीजेपी सबको तोड़ने की हो गई है। हिंदू मुस्लिम करने,दंगे कराने की हो गई है बीजेपी जो मुस्लिमों से देशभक्ति का सबूत मांगती है। झूठे वादे करती है।लोकतंत्र व्यवस्था के स्थान पर पूंजीतंत्र लाती है। जनता पर 56 तरह के टैक्स लगाती है। जलते मणिपुर नूह पर चर्चा नहीं करती। मोदी का सिद्धांत हम दो, मोदी और शाह, हमारे दो अडानी और अंबानी अर्थात मोदी इज भारत और अडानी इज भारत। बस इनका ही देश की 140 करोड़ जनता पर मनमाना शासन है। ज्योतिष के अनुसार मोदी छल छद्म से यदि लोकसभा चुनाव जीतने की जुगत करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई सब पर पानी फेर देंगे। दो कंपनिया देश में ईवीएम बनाती हैं। आरटीआई के जवाब ने दोनो ने कहा, हमने अब तक 40 लाख ई वी एम बनाकर चुनाव आयोग को दिया है लेकिन मुख्यचुनाव आयुक्त के अनुसार मात्र 20 लाख से कुछ ज्यादा ईवीएम मिले हैं। शेष कहां गई 19 लाख ई वी एम मशीनें? निश्चित ही मोदी सरकार के चरण रज लेने वाली आईएएस लाबी ने उन्हें कहीं छुपा रखा है जिनका दुरुपयोग लोकसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में किया जाएगा जहां बीजेपी को वोट कम मिलते हैं। बीजेपी छोटे छोटे चुनाव हार जाती है। बताने के लिए कि विपक्षी कैसे जीते? बस लोकसभा चुनाव जितना ही मोदी शाह का लक्ष्य होता है। विपक्षी यही आरोप लगाते हैं। उन ईवीएम की खोज जरूरी है। संभव है सौ दो सौ ऐसे आई एस के पास हों जो मोदी भक्त हैं।
वृहस्पति के प्रभाव से देश की असली मालिक जनता अंधभक्ति से बाहर आ कर बीजेपी के खिलाफ वोट देने का विचार करने लगेगी। इंडिया गठनधन और मोदी द्वारा खिल्ली उड़ाई जाने पर जनता भले मौन हो लेकिन चुनाव में वोट देने के समय जे पी के खिलाफ वोट देकर हरा देगी। तब झोला लेकर मोदी का भागना मुश्किल होगा। हर तानाशाह की तरह मोदी भी पराजित होंगे। जनता देख रही है।वक्त आने पर मोदी की बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर देगी।