महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अयोध्या के संतो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र में कहा था कि भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सब एक हैं. उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं हैं लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, जो गलत था. मोहन भागवत के बयान पर संतों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भगवान की आराधना सबको करनी चाहिए. उसमें कोई वर्ण व्यवस्था नहीं होती है. हर कोई भगवान की पूजा कर सकता है, मंदिर बनवा सकता है और भगवान को अपने घर में विराजमान करा सकता है. बहरहाल संत समाज ने मोहन भागवत के बयान का विरोध करते हुए कहा कि पंडितों ने कोई श्रेणी नहीं बनाई, यह गीता में साफ लिखा है.
संतों ने कहा कि श्रेणी भगवान ने स्वयं बनाई है. गुणों के आधार पर और कर्म के आधार पर श्रेणी तय की गई है. जात-पात पर बांटने का काम और राजनीतिज्ञों और पदों पर आसीन लोगों ने किया है. जात-पात में सवर्ण समाज ने किसी को नहीं बांटा है. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पंडितों ने श्रेणी नहीं बनाई है. भगवान ने गीता में स्वयं कहा है कि चारों वर्णों की सृष्टि मैंने स्वयं किया है. जिसका निर्माण गुण और कर्म के अनुसार हुआ है ना कि जात और पात से. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि चार वर्णों की व्यवस्था शास्त्र की व्यवस्था है. रामलला के प्रधान पुजारी ने कहा कि जो लोग राजनीति कर रहे हैं या पदों पर आसीन हैं, वही भेदभाव को पैदा कर रहे हैं. सत्ता हासिल करने वाले लोगों ने जात-पात में बांटने का काम किया है. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि मानव जाति और सनातन धर्म बिखर करके कई जातियों में बंट गया है.
जबकि तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि मैं मोहन भागवत के बयान का समर्थन करता हूं. भगवान सबके लिए हैं, जीवमात्र, प्राणीमात्र और मानवमात्र के लिए भगवान हैं. भगवान की आराधना सभी कर सकते हैं, किसी पर रोक तो नहीं है. जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि देश विरोधी ताकतें हिंदुओं को तोड़ने के लिए बीच-बीच में इस तरीके का षड्यंत्र करती रहती हैं और कुछ भोले-भाले हिंदू उनकी बातों में आ भी जाते हैं. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सभी हिंदुओं को एकजुट होकर समाज को आगे बढ़ाने की जरूरत है.