
इस्लामाबाद/नई दिल्ली। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान की एक और गंभीर तस्वीर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सामने आई है। चीन को गधों के निर्यात जैसे असामान्य उदाहरणों के बाद अब पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी उसकी “अंतरराष्ट्रीय भिखारी” समस्या बनती जा रही है। हालात इतने विकराल हो चुके हैं कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (दुबई) और अज़रबैजान जैसे देशों ने पाकिस्तानी सरकार से औपचारिक रूप से अपील की है कि वह अपने देश से भिखारियों के प्रवाह को रोके। खाड़ी देशों का कहना है कि पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग धार्मिक वीज़ा, टूरिस्ट वीज़ा या काम के बहाने वहां पहुंचते हैं और बाद में भीख मांगने या अवैध गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं। तमाम कड़े कदमों के बावजूद इन देशों को पाकिस्तानी भिखारियों की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते मजबूरी में बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन की कार्रवाई की जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सऊदी अरब अब तक 56,000 से अधिक पाकिस्तानी भिखारियों को देश से बाहर निकाल चुका है। दुबई से करीब 6,000 पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया गया है। अज़रबैजान से लगभग 2,500 पाकिस्तानी नागरिकों को वापस पाकिस्तान भेजा गया है। इन घटनाओं के बाद पाकिस्तान को भी यह स्वीकार करना पड़ा है कि उसके देश के भिखारी अब “इंटरनेशनल भिखारी” बन चुके हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर उसकी छवि को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ती बेइज्जती के बीच पाकिस्तानी अधिकारियों ने भीख मांगने वाले गिरोहों पर सख्ती शुरू की है। वर्ष 2025 में अब तक 66,000 से अधिक यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही विमान से उतार दिया गया है और उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी गई। कई लोगों को “नो-फ्लाई ज़ोन” सूची में भी डाला गया है, ताकि वे वीज़ा लेकर हवाई यात्रा न कर सकें। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि पाकिस्तान से विदेश जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या वापस लौटती ही नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक- 24,000 पाकिस्तानी कंबोडिया गए, जिनमें से 12,000 वापस नहीं लौटे। 4,000 पाकिस्तानी म्यांमार पहुंचे, जिनमें से करीब 2,500 लोग गायब हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल अवैध प्रवास या भीख मांगने का मामला नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान की गहराती आर्थिक संकट, बेरोज़गारी और शासन विफलता का संकेत है। विदेशों में भिखारी बन रहे पाकिस्तानी न सिर्फ मेज़बान देशों के लिए समस्या बन रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को भी गंभीर चोट पहुंचा रहे हैं।




