
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। विधानसभा की सीढ़ियों पर महा विकास अघाड़ी के विधायकों ने भ्रष्टाचार, किसानों की कर्जमाफी, भाषा विवाद और निकाय चुनाव जैसे अहम मुद्दों को लेकर सरकार पर तीखे आरोप लगाए। एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने सरकार को “झूठ फैलाने वाली सरकार” बताते हुए एक पोस्टर के साथ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब तीसरी भाषा को जबरन थोपा जाता है, तो बच्चों पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है। सरकार को लोगों के भारी दबाव के कारण फैसला वापस लेना पड़ा, और यह लोकतंत्र की जीत है। तीन भाषा फॉर्मूले पर टिप्पणी करते हुए पवार ने कहा, हर राज्य में अंग्रेजी पहले से ही पढ़ाई जाती है। महाराष्ट्र में हमें अपनी मातृभाषा मराठी को प्राथमिकता देनी चाहिए। अंग्रेजी व्यावसायिक भाषा है, मराठी हमारी आत्मा की भाषा है। अगर तीसरी भाषा पढ़ाई जाती है, तो यह जरूरी नहीं कि वह हिंदी ही हो, और न ही यह जरूरी है कि सबको हिंदी आनी ही चाहिए। निकाय चुनावों को लेकर रोहित पवार ने कहा कि मुंबई, नागपुर, पुणे, सोलापुर, कोल्हापुर और नासिक जैसे प्रमुख महानगरों के लिए विपक्षी दलों के नेता एक साथ बैठकर रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कांग्रेस द्वारा नगर निगम चुनाव अकेले लड़ने की संभावनाओं पर संयमित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभी फैसले सामूहिक चर्चा के बाद लिए जाएंगे। किसानों की कर्जमाफी पर बोलते हुए उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, “यह सरकार किसानों के लिए कभी कुछ नहीं करती। चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे किए गए, लेकिन आज तक किसानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हमने किसानों से माफी मांगने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने वह भी नहीं किया। यह सरकार किसान विरोधी, महिला विरोधी और युवा विरोधी है। इस तरह मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने कई मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की, और जनता के मुद्दों पर सरकार की कथित असंवेदनशीलता के खिलाफ एकजुटता दिखाई।