
मुंबई। आतंकियों को आश्रय देने के आरोप में पुणे के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। एटीएस ने गुरुवार को बताया कि उन दोनों संदिग्ध आतंकियों के पास से अन्य चीजों के अलावा काला ‘विस्फोटक’ पाउडर, लैपटॉप, ड्रोन के हिस्से, नक्शे, इलेक्ट्रिक सर्किट, सॉल्डरिंग गन, अरबी में लिखी किताबें भी बरामद कीं। साथ ही एक तंबू भी बरामद किया गया जिसे दोनों ने पुणे के निकटवर्ती जिले के वन क्षेत्रों में रहने के लिए कथित तौर पर खरीदा था। एजेंसी ने बताया कि काले पाउडर की जांच के लिए किए गए विश्लेषण में पता चला कि यह विस्फोटक पदार्थ है। एटीएस ने हाल ही में पुणे पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में ली है। राजस्थान में आतंकवाद से संबंधित एक मामले में कथित संलिप्तता के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को दोनों संदिग्धों की तलाश थी। दोनों को 18 जुलाई को तड़के पुणे शहर के कोथरुड इलाके से पकड़ा गया था। पुणे की एक अदालत ने बाद में दोनों संदिग्धों मोहम्मद इमरान मोहम्मद यूनुस खान (23) और मोहम्मद यूनुस मोहम्मद याकूब साकी (24) को 25 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था जिसे बाद में 25 अगस्त तक बढ़ा दिया गया। एटीएस ने एक विज्ञप्ति में बताया कि बुधवार को पुणे में एक व्यक्ति को खान और साकी को आश्रय देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एटीएस ने उस व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं किया।
एटीएस ने रत्नागिरी से भी एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह व्यक्ति वही है जिसे संदिग्ध आतंकियों को आश्रय देने के आरोप में पकड़ा गया था। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों संदिग्ध मध्य प्रदेश के रतलाम के रहने वाले हैं और ग्राफिक डिजाइनर हैं। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था। पुलिस के अनुसार, जब दोनों संदिग्धों को पता चला कि उनका नाम उस आतंकी मामले की जांच में सामने आया है जिसमें अल-सुफा संगठन के कुछ संदिग्ध सदस्यों को राजस्थान पुलिस ने मध्य प्रदेश के एक शहर से पकड़ा था तो वे रतलाम से भाग निकले। वह दोनों मुंबई पहुंचे और दो-तीन दिनों तक भिंडी बाजार इलाके में रहे और फिर पुणे के कोंढवा क्षेत्र में चले गये। सूत्रों ने बताया कि दोनों ने एक स्थानीय निवासी की मदद से नौकरी हासिल की और बाद में उनकी दोस्ती झारखंड के रहने वाले एक तीसरे व्यक्ति से हुई। यह तीसरा व्यक्ति, पुलिस द्वारा दोनों संदिग्धों को पकड़े जाने पर भाग निकला। सूत्रों ने बताया कि दोनों संदिग्ध जांच एजेंसियों से बचने के लिए पुणे जिले के आसपास के जंगली इलाकों में रहने की तलाश कर रहे थे और इसीलिए उन्होंने तंबू खरीदा था। मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद एटीएस ने संदिग्धों के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है क्योंकि बरामद की गई वस्तुओं से पता चलता है कि दोनों ने बम बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था और देश की एकता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया था। एटीएस ने अपने एक बयान में बताया कि तीसरे संदिग्ध का पता लगाने के लिए कई दल काम कर रहे हैं जो 18 जुलाई को ऑपरेशन के दौरान भाग निकला था।