
मुंबई। मुंबई के वर्ली स्थित सेंचुरी मिल परिसर की लगभग डेढ़ एकड़ भूमि, जो लंबे समय से प्रबंधन के आंतरिक विवादों के चलते अटकी हुई थी, अब मिल मज़दूरों के आवास हेतु उपलब्ध कराई जाएगी। हाल ही में हुई राज्य सरकार की उच्च स्तरीय निरीक्षण समिति की बैठक में इस भूमि के आवासीय उपयोग को मंज़ूरी दी गई, जिससे वर्षों से प्रतीक्षित इस पहल को गति मिलेगी।
पिछले 12 वर्षों से गिरनी कामगार यूनियन (GKSS) इस ज़मीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रही है। प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद यूनियन ने इस ज़मीन पर तत्काल आवास निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। म्हाडा के कार्यकारी अभियंता गावित ने पुष्टि की कि यह भूमि मिल मज़दूरों के लिए ही आरक्षित है। सेंचुरी मिल प्रबंधन की प्रतिनिधि सुनीता थपलियाल ने कहा कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा, जिसके अंतर्गत 588 नए घर बनाए जाएंगे।
2012 में कुल 17,980.69 वर्ग मीटर भूमि में से 13,091.90 वर्ग मीटर को आवास हेतु आवंटित किया गया था, जिससे 2,130 मज़दूरों को लाभ हुआ। केवल एक चौथाई एकड़ ज़मीन तब तक आवंटित नहीं की गई थी। मौजूदा परिदृश्य में 8,684 पात्र मिल मज़दूर हैं, जिन सभी को इस क्षेत्र में समायोजित करना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि सेंचुरी मिल चॉल की छह एकड़ भूमि नगर निगम को सौंपी जाए और बची हुई भूमि का उपयोग केवल मिल मज़दूरों के आवास हेतु ही किया जाए। गिरनी कामगार यूनियन के नेताओं ने नगर पालिका को आगाह किया है कि इस भूमि को वित्तीय लाभ के लिए निजी डेवलपर्स को न बेचा जाए। राज्य सरकार ने आवासीय परियोजना की जिम्मेदारी म्हाडा को सौंपी है। फिलहाल मुंबई में लगभग 2,50,000 मिल मज़दूर और उनके वंशज आवास की प्रतीक्षा में हैं, जबकि उपलब्ध आवासीय इकाइयों की संख्या मात्र 1,000–2,000 तक सीमित है।